10 मिनट तक तड़पता रहा छात्र, पानी तक नहीं पिलाया
परिजनों बोले हत्या का मुकदमा हो दर्ज
सीएनई डेस्क। शिक्षा विभाग के कड़े नियम होने के बावजूद स्कूलों में शिक्षकों द्वारा नन्हे बच्चों के साथ बेदर्दी से मारपीट की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने से देश भर में इस तरह के मामलों में अंकुश नहीं लग पा रहा है। यूपी के प्रयागराज में ऐसा ही एक विचलित करने वाला मामला प्रकाश में आया है, जहां एक शिक्षिका ने बच्चे को इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि वह बेंच से टकराया और 10 मिनट तक तड़पने के बाद उसकी मौत हो गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रयागराज में नैनी थाना क्षेत्र के महेवा पश्चिम पट्टी निवासी वीरेंद्र के साढ़े तीन वर्षीय बेटे शिवाय की दीनदयाल पब्लिक स्कूल में संदिग्ध हालातें में मौत हो गयी। वह नर्सरी में पढ़ता था। इसी स्कूल में शिवाय की बहन पूर्वी और बड़ा भाई सुमित भी पढ़ता है। सुमित ने परिजनों को बताया कि शिवाय रो रहा था। टीचर उसे लेकर उसके क्लास में आई और बेंच पर बिठा दिया।

बार—बार पानी मांग रहा था, नहीं पसीजा टीचर का दिल
शिवाय ने इसके बाद भी रोना बंद नहीं किया, तो एक टीचर ने उसे थप्पड़ मार दिया। इससे उसका सिर बेंच से टकरा गया और वह जमीन पर गिर गया। सुमित ने बताया कि जमीन पर गिरते ही शिवाय के मुंह और नाक से खून बहने लगा। वह बार-बार पानी मांग रहा था, लेकिन टीचर ने पानी नहीं पिलाया। 10 मिनट बाद उसकी आवाज बंद हो गई। एक टीचर ने उसे हिलाया, तो वह कुछ नहीं बोला। इसके बाद टीचर बाहर गई और फोन करके मम्मी और पापा को बुलाया।
कई बार मारे डंडे, रोने पर दबाया मुंह
घरवालों ने बताया था कि शिवाय की पिटाई की गई थी, जिससे सिर और जीभ में चोट थी। वीरेंद्र ने उसी स्कूल में कक्षा दो में पढ़ने वाले अपने बड़े पुत्र सुमित से पूछा तो उसने बताया कि दो शिक्षिकाओं ने उसके सामने शिवाय को डंडे से पीटा था। कमर के नीचे और गर्दन के पास कई बार डंडे मारे गए थे। रोने पर उसका मुंह भी दबाया जा रहा था। कई थप्पड़ भी मारे गए थे। इसके बाद पुलिस को तहरीर दी गई, जिसे दो अज्ञात शिक्षिकाओं पर पिटाई का आरोप लगाया गया।

उधर, डॉक्टरों ने शव का पोस्टमार्टम किया तो उसके सिर पर चोट मिली। उसका दम भी घुटना प्रतीत हुआ, जिसे मौत की वजह बताई गई। उसके नाजुक अंग में खून भी मिला, जिस पर स्लाइड को सुरक्षित कर लिया गया। इंस्पेक्टर नैनी बृजकिशोर गौतम का कहना है कि नाजुक अंग से निकला खून संभवत: डंडा मारने की वजह से था। उसके साथ किसी प्रकार की गलत हरकत नहीं की गई थी। डॉक्टरों ने बिसरा भी सुरक्षित किया है। अज्ञात दो शिक्षिकाओं के खिलाफ गैरइरातन हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।
महिला शिक्षक शिवांगी और आरती के खिलाफ केस दर्ज
स्कूल से शिवाय के बेसुध होने की सूचना मिली, तो वीरेंद्र और उसकी पत्नी घबरा गए। दोनों भागते हुए स्कूल पहुंचे और शिवाय को लेकर अस्पताल गए। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दीनदयाल पब्लिक स्कूल की दो महिला शिक्षकों शिवांगी और आरती के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। वीरेंद्र ने हत्या का केस दर्ज गिरफ्तारी की मांग की। परिजनों का आरोप है कि बच्चा तड़पता रहा, लेकिन उसको पानी नहीं दिया गया। उसे थप्पड़ मार कर जमीन पर गिरा दिया गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
मां का रो—रोकर बुरा हाल, कई बार हुई बेहोश
गुरुवार दोपहर पुलिस जब मां की गोद से शव को लेने लगी तो उन्होंने बच्चे को सीने से चिपका लिया। मां रोते हुए बोली- मैंने सुबह ही बच्चे को दूध पिलाया। कलर बॉक्स उसके बैग में रखे। उसका लंच बॉक्स रखा। सुबह ही मैं स्कूटी से बच्चे को स्कूल छोड़ कर आई थी। मुझे क्या पता था कि मेरे कलेजे के टुकड़े के साथ ऐसा कुछ होगा। वह हमेशा के लिए मुझसे दूर हो जाएगा। रोते-रोते वह बेहोश होकर गिर पड़ीं। साथ की महिलाओं ने पानी के छीटें मारे, तब वह होश में आईं।
आरोपों को निराधार बता रहा स्कूल प्रबंधक
डीसीपी यमुनानगर विवेक यादव ने बताया कि नैनी थाने में दो महिला शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस की टीम जांच कर रही है। उसके प्राइवेट पार्ट पर भी चोटे आई हैं। सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की जा रही है। इस मामले में दीनदयाल पब्लिक स्कूल प्रशासन कुछ बोलने को तैयार नहीं है। प्रबंधन ने आरोपों को निराधार बताया। बच्चे के पिता वीरेंद्र और मां पूनम एक किराना स्टोर चलाते हैं।
टीचर आरती पर है थप्पड़ मारने का आरोप
इस मामले में विद्यालय की शिक्षिका आरती पर बच्चे को इतने जोर से चांटा मारने का आरोप है कि वह गिर गया और चोट लगने से उसकी मौत हो गई। एक नन्हे बच्चे के साथ स्कूल में हुई मारपीट प्रकरण पर अब विद्यालय स्टॉफ पर्दा डालने के प्रयास में लगा हुआ है।
जानिए स्कूलों के लिए क्या है RTE कानून !
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE ACT) के अनुसार, बच्चों को शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न से प्रतिबंधित किया गया है। यह अधिनियम बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा को सुनिश्चित करता है, साथ ही उनके अधिकारों की रक्षा भी करता है। अधिनियम की धारा 17 बच्चों को किसी भी प्रकार के शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करती है।
शारीरिक दंड पर रोक:
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 17 के अनुसार, बच्चों को शारीरिक दंड देना गैरकानूनी है।
मानसिक उत्पीड़न पर रोक:
इस अधिनियम के तहत, बच्चों को मानसिक रूप से भी परेशान नहीं किया जा सकता है, जिसमें उन्हें धमकाना, अपमानित करना या प्रताड़ित करना शामिल है। अधिनियम के उल्लंघन पर सजा का प्रावधान है। यदि कोई शिक्षक या कोई अन्य व्यक्ति इस अधिनियम का उल्लंघन करता है, तो उसे सजा मिल सकती है।
किशोर न्याय अधिनियम:
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 में बच्चों के साथ क्रूरता के लिए सजा का प्रावधान है। यदि आप बच्चों को शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न देते हुए देखते हैं, तो आप स्थानीय शिक्षा विभाग, पुलिस या किसी अन्य संबंधित प्राधिकारी से शिकायत कर सकते हैं।
कानून होने के बाजवूद नहीं मिल पाता न्याय
बच्चों के हित में तमाम कानून होने के बावजूद अधिकांश न्याय नहीं हो पाता। अकसर देखा गया है इस तरह के मामलों में यदि पुलिस कोतवाली में शिकायत भी दर्ज होती है तो संबंधित शिक्षक, स्कूल प्रबंधन आदि की मौजूदगी में अभिभावकों को बुलवा मामला रफा—दफा कर दिया जाता है। यदि किसी बच्चे के उत्पीड़न पर संबंधित शिक्षक व स्कूल पर कड़ी कार्रवाई हो तो इस तरह के मामले रूक सकते हैं।