Big News : अल्मोड़ा के कार्की दंपत्ति ने लिया मृत्यु उपरांत देह दान का संकल्प

⏩ मेडिकल कॉलेज को सौंप दी जायेगी मृत्यु उपरांत देह सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा A couple, resident of Jakhandevi, Almora, have decided to donate their bodies…

⏩ मेडिकल कॉलेज को सौंप दी जायेगी मृत्यु उपरांत देह

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

A couple, resident of Jakhandevi, Almora, have decided to donate their bodies posthumously. Deepa Chandra Singh Karki 63 years resident of Jakhandevi and his wife Deepa Karki 53 years have filled the declaration of body donation posthumously in Almora Medical College.

अल्मोड़ा के जाखनदेवी निवासी एक दंपत्ति ने मरणोपरांत देहदान का फैसला लिया है। जाखनदेवी निवासी 63 वर्षीय दीप चंद्र सिंह कार्की व उनकी पत्नी 53 वर्षीय दीपा कार्की ने देह दान का संकल्प लेने के बाद अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में मणोपरांत देह दान का घोषणा पत्र भरा है।

उल्लेखनीय है कि धर्मशास्त्रों में दान का बहुत बड़ा महत्व है और देह दान से बड़ा दान अन्य कोई नहीं हो सकता। यहां दीपमाला, कपीना, जाखनदेवी निवासी दीप चंद्र सिंह कार्की पुत्र स्व. त्रिलोक सिंह कार्की और दीपा कार्की ने अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान (Soban Singh Jeena Government institute of Medical science & Research, Almora) को मरणोपरांत शरीर दान का घोषणा पत्र भरा है। उल्लेखनीय है कि दीप चंद्र सिंह कार्की एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं तथा उनकी पत्नी दीपा कार्की एक गृहणी हैं। उनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं। (ख़बर जारी है, आगे पढिये)

घोषणापत्र में उन्होंने सार्वजनिक रूप से सूचित किया है कि उनकी मृत्यु उपरांत उनके जो भी रिश्तेदार व मित्र उपस्थित हों, वह यह जान लें कि मृत्यु के पश्चात उनकी देह सोबन सिंह जीना राजकीय आर्युविज्ञान एवं शोध संस्थान अल्मोड़ा को दान दे दी जाये। उनकी मृत देह का यदि विच्छेदन, शोध व अन्य चिकित्सीय शिक्षण कार्यों में उपयोग होता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इधर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. चंद्र प्रकाश ने दीप चंद्र सिंह कार्की व दीपा कार्की को भेजे पत्र में कहा है कि उनके द्वारा भरा गया शपथ पत्र संस्थान को प्राप्त हो गया है। उनके इस पुनीत कार्य के लिए शोध संस्थान उनका हार्दिक आभारी है।

मृत्यु उपरांत देह किसी के काम आये, इससे बड़ा अहोभाग्य कुछ नहीं : कार्की दंपत्ति

जाखनदेवी निवासी देह दान का संकल्प लेने वाले कार्की दंपत्ति का कहना है कि मृत्यु के उपरांत देह को यूं ही नष्ट कर देना तर्क संगत नहीं है। यह देह व इसके अंग यदि किसी अन्य जरूरतमंद के किसी भी रूप में उपयोग में आ सके तो इससे बड़ा अहोभाग्य क्या हो सकता है। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज ने उनके प्रस्ताव को एक लंबी प्रक्रिया के बाद अब स्वीकृत कर लिया है।

ऐसे मन में आया देह दान का विचार

दीप चंद्र सिंह कार्की (दीपक कार्की) ने कहा कि मृत्यु उपरांत देह दान का विचार उनके मन में विगत एक-दो सालों से आ गया था। अकसर जब वह आपस में बैठकर बातचीत करते थे तो इस बारे में चर्चा होती थी कि आखिर क्यों लोग मृत्यु के उपरांत न केवल मृत देह को नष्ट कर देत हैं, जबकि यह किसी के काम आ सकती है। लोग सिर्फ मृत देह ही नहीं नष्ट करते, बल्कि मृतक के शरीर के कपड़े, जेवर, बिस्तर आदि तक जला दिया करते हैं। इन सब चीजों से किसी का कोई फायदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि हमें पारसी धर्म के लोगों के सिद्धांतों को समझना होगा, जो कि मृत्यु के उपरांत देह नष्ट करने के बजाए उसे किसी सुनसान पहाड़ या पेड़ पर लटका देते हैं, ताकि कोई वन्य जीव उसे खाकर अपनी भूख शांत कर सके। मृत्यु के उपरांत मनुष्य की देह किसी के काम आ जाये इससे बड़ा पुण्य का कार्य कुछ नहीं है। श्री कार्की ने कहा कि दुर्भाग्य से आंख, गुर्दे आदि अंग दान की सुविधाएं अल्मोड़ा में नहीं है यदि ऐसा होता तो बहुत अच्छा रहता।

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