सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: आज श्राद्ध पक्ष की अष्टमी व नवमी तिथि पर कई लोग पितरों को याद करने के लिए सरयू तट पर पहुंचे। जहां उन्होंने सरयू के जल स्नान कर संगम पर बने घाट पर पितरों का श्राद्ध किया। पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ श्राद्ध व तर्पण संपन्न करवाया। लोगों ने श्रद्धापूर्वक पिंडदान कर पितरों का आशीर्वाद लिया। पार्वण या महालया श्राद्ध में अष्टमी व नवमी तिथि को विशेष माना गया है।
नवमी तिथि को जहां माता का श्राद्ध किया जाता है, वहीं पिता के श्राद्ध के लिए अधिकांश लोग अष्टमी की तिथि को ही चुनते हैं। अधिक संख्या में श्राद्ध होने के कारण पंडितों को भी हर एक यजमान के घर पहुंचना चुनौती रहती है। जिसे देखते हुए नगर क्षेत्र के अधिकांश पंडित सरयू तट पर श्राद्ध करवाते हैं। इसमें एक साथ कई यजमानों का श्राद्ध संपन्न करवाया जा सकता है। इससे यजमान व पुरोहित दोनों का समय बचता है। इधर पंडित हेम जोशी ने बताया कि सरयू तट पर श्राद्ध करवाने का विशेष महत्व है। बागेश्वर को कुमाऊं की काशी कहा जाता है। पतित पावनी सरयू सबके पाप हरने और मोक्ष प्रदान रने वाली है। इसके तट पर श्रद्धापूर्वक पिंडदान करने से पितरों की आस पूरी होती है। श्राद्ध करवाने वालों को भी इसका विशेष फल प्राप्त होता है। बदलते समय के साथ लोगों के पास समय की कमी होती जा रही है। जिसे देखते हुए भी अधिकांश यजमान सरयू तट पर श्राद्ध करवाने को प्राथमिकता देने लगे हैं।