सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
अपनी संस्कृति अपनी अमूल्य धरोहर लोक कला, हमारे परम्परागत वाद्ययंत्रों को संजोए रखने के लिए संस्कृति संरक्षण की दृष्टि 23 एवं 24 सितंबर को देहरादून में विशाल संस्कृति समागम आयोजित किया जायेगा। जिसमें रिंगाल व काष्ठकला के पारंगत शिल्पियों को समागम में आमंत्रित किया गया है। प्रदेश स्तर पर सहभागिता करने वाले कलाकारों के चयन करने हेतु आगामी सात सितम्बर को केदारेश्वर मैदान में विभिन्न ग्राम पंचायतों से आये वाद्य यंत्र कलाकारों का चयन होगा।
अपनी धरोहर सोसायटी के अध्यक्ष व अनुसूचित जन जाति आयोग के उपाध्यक्ष गणेश सिंह मर्तोलिया ने बताया कि उनका प्रयास है कि पहाड़ की संस्कृति का संरक्षण किया जाय तथा ढोल, दमाउ, हुड़का, मशकबीन आदि वादय यंत्रों का संरक्षण किया जाय। बताया कि इसके बाद जिला स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
जनपद स्तर पर प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों का यात्रा भत्ता स्वयं प्रतिभागियों को वहन करना होगा, उनकी केवल भोजन की व्य्वस्था होगी। उन्होंने कहा कि जनपद स्तर पर चयनित प्रतिभागियों को प्रदेश स्तर पर प्रतियोगिता में शामिल हेतु जाने पर यात्रा भत्ता भोजन व्यवस्था, ठहरने की व्यवस्थाआदि आयोजक द्वारा किया जायेगा। श्री मर्तोलिया ने कहा कि पहाड़ की लुप्तहोती हुई उत्तराखंड की लोक कला को जीवंत रूप देने का प्रयास हमारे द्वारा किया जा रहा है।
हमारा प्रयास इन वाद्यों और इन्हें बजाने वालों को पेशेवर रूप देकर इन्हें मान्यता दिलाने की है एवं देवभूमि की विलुप्त होती लोककलाओं का संरक्षण करना है। बताया कि प्रदेश स्तर पर संस्कृति समागम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त प्रतिभागी टीम को 51,000 रुपए की धनराशि, द्वितीय स्थान प्राप्त प्रतिभागी टीम को 31,000 एवं तृतीयस्थान प्राप्त प्रतिभागी टीम को 21,000 रुपए की प्रोत्साहन धनराशि प्रदान की जाएगी।