अल्मोड़ाः गैरसैंण स्थाई राजधानी के लिए फिर बड़े संघर्ष की जरूरतः उक्रांद, भाजपा-कांग्रेस के चेहरे उजागर

अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड क्रांति दल् के केन्द्रीय उपाध्यक्ष ब्रहमानंद डालाकोटी एवं जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने पुरजोर मांग उठाई है कि गैरसैण को महज ग्रीष्मकालीन ही नहीं,…

अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड क्रांति दल् के केन्द्रीय उपाध्यक्ष ब्रहमानंद डालाकोटी एवं जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने पुरजोर मांग उठाई है कि गैरसैण को महज ग्रीष्मकालीन ही नहीं, बल्कि उसे स्थाई राजधानी घोषित किया जाय। साथ ही धमकी दी है कि यदि जन भावनाओं के अनुरूप ऐसा नहीं हुआ, तो फिर बड़ा संघर्ष होगा।
राजधानी मामले पर प्रतिक्रिया जताते हुए उक्रांद के नेताद्वय ने कहा है कि गैरसैण राज्य के मध्य में स्थित है और उत्तराखण्डवासियों द्वारा राजधानी के लिए सर्वमान्य रूप से गैरसैंण स्वीकार्य स्थान है। उक्रांद नेताआंे ने कहा कि राज्य आन्दोलन के दौरान स्वयं भाजपा व कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलांे ने राजधानी का सवाल उठाकर आन्दोलन को तोड़ने की कोशिश की थी। परिणामस्वरूप उत्तराखण्ड क्रांति दल ने गैरसैण को राजधानी के लिए प्रस्तावित किया, जिसे उत्तराखण्ड की जनता ने स्वीकार किया। वहीं भाजपा-कांग्रेस की बोलती बन्द हो गयी। इसके बाद राज्य गठन हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित कौशिक समिति ने भी गैरसैण को ही उत्तराखण्ड की जनता का सर्वाधिक पसन्दीदा स्थान व उपयुक्त बताया था और अपनी रिपोर्ट में राजधानी के लिए संस्तुत किया था, किन्तु राज्य स्थापना के समय उक्त तथ्यों को नजर अन्दाज करते हुए भाजपा सरकार ने चालाकी से देहरादून को अस्थाई राजधानी घोषित कर दिया। उसके बाद भाजपा-कांग्रेस बारी-बारी से राजधानी के लिए प्राप्त बजट से अस्थाई राजधानी देहरादून में निर्माण कार्य कर करते रहे। जनदबाब के चलते बहुगुणा सरकार ने गैरसैण मंे विधानसभा सत्र आयोजित करने करने का निण्रय लिया तथा वहां विधानभवन व अन्य भवनों का निर्माण किया। इसके बाद भी सत्ता में आने के बावजूद न तो कांग्रेस और न ही भाजपा ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित नहीं किया। अब गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर भाजपा सरकार ने उत्तराखण्ड विरोधी अपना चेहरा फिर बेनकाब कर दिया है। उक्रांद नेताओं ने कहा कि ऐसे में उत्तराखण्ड के सर्वांगीण विकास हेतु एक बार पुनः गैरसैण राजधानी बनाये जाने हेतु उक्रांद उसी तर्ज पर संघर्ष करेगा, जिस तर्ज पर जनता ने उक्रांद के नेतृत्व में उत्तराखण्ड राज्य के लिए संघर्ष किया।

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