BAGESHWER NEWS: प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत का 122वीं जयंती पर भावपूर्ण स्मरण, पंत वीथिका में माल्यार्पण, गरुड़ में कवियों ने रचनाएं की बौछार कर किया याद

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वरप्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती आज सादगी से मनाई गई। उनके गृह क्षेत्र कौसानी में जयंती कार्यक्रम हुआ। पंथ वीथिका में…

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती आज सादगी से मनाई गई। उनके गृह क्षेत्र कौसानी में जयंती कार्यक्रम हुआ। पंथ वीथिका में कर्मचारियों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया। हिन्दी साहित्य में उनके योगदान पर चर्चा की। उधर गरुड़ में रचनाकारों ने जयंती पर काव्य गोष्ठी में रचनाओं की बौछार की।
पंत वीथिका में कोरोनाकाल के चलते सादगी में आयोजित हुए कार्यक्रम में अल्मोड़ा से निदेशक डा. सीएस चौहान पहुंचे।

उन्होंने पंत की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और दीप प्रज्ज्वलन किया।इस मौके पर वक्ताओं ने पंत की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी में चाय बागान के व्यवस्थापक पंडित गंगा दत्त पंत के घर 20 मई 1900 में हुआ। उनके जन्म के करीब छह घंटे बाद ही उनकी माता सरस्वती देवी का निधन हो गया। मातृ स्नेह से वंचित सुमित्रानंदन पंत के काव्य में मां की पुनीत स्मृतियां मिलती है।

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हिन्दी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान को याद किया गया। कहा कि स्व. पंत ने अपनी काव्य, पद्य और निबंध से साहित्य जगत में अलग स्थान बनाया। उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर कौसानी और जिले का नाम भी रोशन किया। युवाओं के लिए भी आदर्श स्थापित किया। सभी लोगों ने उनके बताए मार्ग पर चलने और समाज के हित में काम करने का संकल्प लिया। इस मौके पर जन्मेजय तिवारी, रविंद्र बिष्ट, यतींद्र कांडपाल, दीपक कुमार, अर्जुन सिंह सेराड़ी आदि मौजूद थे।

कवियों ने जयंती पर पेश की रचनाएं
गरुड़। सुप्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की 122 वीं जयंती पर यहां उत्तराखंड साहित्यकार समिति ने ऑनलाइन काव्य गोष्ठी की। कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से कवि पंत का भावपूर्ण स्मरण किया। गोष्ठी की शुरुआत करते हुए युवा कवयित्री आशा जोशी ने कवि पंत पर कुछ यूं कहा- “प्रकृति के चितेरे कवि कहलाए, जन-जन के उर में सौंदर्य भाव भर पाए”। कवि मनोज खोलिया ने कहा- “पंत ज्यू की महिमा अपार, तुमुकै नमन छू बारंबार”।

ओम प्रकाश फुलारा ने ये पंक्तियां प्रस्तुत की- “प्रकृति के सुकुमार कवि के हृदय रहा अनुराग सदा, प्रकृति का रसपान कराकर किए उजागर भाग सदा”। गिरीश अधिकारी ने कहा- “तुम चित्रमयी भाषा के नायक, मनहर बिंबों के अधिनायक”। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कवि मोहन जोशी ने कहा- ”काव्य जगत के कवि सुकुमार, युगवाणी गुंजन उत्तरा हार”। संचालन करते हुए सीएस बड़सीला ने कुछ यूं कहा- “कौसानी की पावन भूमि में हृदय के तार झंकृत हुए, महाकवि हे सुमित्रानंदन जब वाणी को शब्द दिए”। इस दौरान डॉ. हेम चंद्र दुबे, रमेश बृजवासी, भुवन कैड़ा, जीवन दोसाद आदि ने ऑनलाइन काव्य पाठ कर कवि पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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