बागेश्वर में पीपली लाइव : लोगों ने ऐसी रोटी सेंकी कि पवन के हाथ से छिन गई दो वक्त की रोटी
बागेश्वर। आमिर खान प्रोडक्शन के बैनर तले बनी बहुचर्चित फिल्म पीपली लाइव तो आपने देखी ही होगी। अब हम आपसे कहें कि बागेश्वर के कांडे कनियाल गांव में भी इस फिल्म की नई पटकथा लिखी जा रही है तो आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए। दरअसल इस गांव के एक बेरोजगार युवक पवन की हिम्मत को सोशल मीडिया ने क्या सराहा, फिर तो क्या मेन स्ट्रीम मीडिया और क्या स्वयंसेवी संगठन, स्थानीय जन प्रतिनिधि,प्रशासन, पुलिस और क्या देहरादून में बैठे प्रदेश के मुखिया! सबने बेचारे गांव के इस भोले भाले युवक को चैन से मिल रही दो जून की रोटी ही छीन ली।
खाकी का डर, अफसरों व मीडिया के लगातार घनघनाते फोन और बड़े बड़े लोगों की सोशल साइट्स पर छाया यह युवक दो दिन से दुकान से अपना हिस्सा समेट घर जा बैठा है, लेकिन अब कोई उसकी मदद के लिए सामने नहीं आ रहा। दरअसल कांडे कनियाल गांव के 24 वर्षीय पवन ने लॉक डाउन में अपने बचपन के दोस्त महेश के साथ मिलकर घर का गुजारा चलाने के लिए कांडा पड़ाव बाजार में एक दुकान को बार्बर सैलून का रूप दिया और उसकी दुकान चल पड़ी। इसी बीच किसी ने इस युवक की हिम्मत और प्रतिभा का सलाम करते हुए उसकी एक फोटो अपने फेसबुक वाल पर शेयर कर दी। फिर क्या था उसकी पूरी बात सुने बगैर मीडिया ने उसे प्रवासी युवक बताते हुए ऐसा हाईलाइट किया कि मामला सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की नजर में आ गया।
उन्होंने भी उसकी पूरी कहानी की पुष्टि किए बगैर ही पवन से अपनी स्वरोजगार के प्रेरणा स्त्रोत मुहीम शुरू कर डाली। जब कुछ लोगों ने पवन की असली कहानी पता की तो मालूम हुआ कि पवन दिल्ली तो क्या हल्द्वानी से आगे कभी गया ही नहीं था। सीएम ने अपने ट्विटर हैंडल पर उसका जिक्र किया तो पूरा प्रदेश उसे सोशल मीडिया पर तलाशने लगा। जब सीएम के दावों की हवा निकली तो लोगों ने सीएम के ट्विटर हैंडल पर आपत्तिजनक कमेंट कर दिए। फिर क्या था पुलिस को भी जोश चढ़ गया। पवन बताता है कि पुलिस ने उससे कहा कि सीएम के बारे में आपत्तिजनक कमेंट करने वालों के खिलाफ तहरीर दे।
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उधर प्रशासन भी उसे अनचाहे ऋण लेने के लिए परेशान करने लगा। मीडिया के फोन तो उसे आ ही रही थे। विधायक ने भी आनन फानन में उसे सम्मानित कर दिया। फिर क्या था उसके सम्मान में कार्यक्रमों की प्लानिंग होने लगी। परेशान पवन समझ नहीं पा रहा था कि वह इन लोगों से निपटे या अपनी दुकान चला कर परिवार चलाने के लिए काम करे। पवन बताता है कि अंतत: पूरे घटनाक्रम से परेशान उसके पिता ने उसे दुकान बंद करके घर आ जाने के लिए कहना शुरू कर दिया।
पवन के घर के बाहर अधूरा पड़ा शौचालय
पवन को भी पिता की सलाह ठीक लगी और वह अपने दोस्त के साथ शुरू की गई अपनी दुकान से अपने हिस्से की एक कुर्सी लेकर घर आ गया। वह कहता है कि दिल्ली, देहरादून से लोगों के फोन आ रहे हैं। पुलिस द्वारा अलग से पूछताछ की जा रही है। घर में सभी लोग डरे हुए है। इसी लिये काम छोड़ना बेहतर समझा।
दो दिन से पवन घर पर ही है। अब न उसे कोई ढूंढ रहा है और न ही उसे सम्मानित करने वाले पूछ रहे हैं कि उसका परिवार कैसे चल रहा है।
पवन ने कहा कि पिता जी ने दुकान में जाने से मना कर दिया है। पवन के प्रवासी, आत्म निर्भर व स्वरोजगार के नाम पर रोटिया सेंकने वालों ने उसके हाथ से दो वक्त की रोटी छीन ली है। उसके घर के बाहर दुकान चलने के बाद बननना शुरू हुआ शौचालय भी उसके सपनों की तरह अधूरा ही रह गया है।
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