आपणि बोलि—भाषा: ‘पहरू’ से जगी अलख ने युवा पीढ़ी में पैदा की कुमाऊंनी लेखन की ललक, विमोचन से हाथों में पहुंची 15—25 आयुवर्ग के युवाओं की रचना उपज ‘जो य गङ बगि रै’

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा कई सालों से कुमाऊंनी भाषा के संरक्षण व विकास के लिए अलख जगाने का काम कर रही कुमाऊंनी मासिक पत्रिका ‘पहरू’ के…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
कई सालों से कुमाऊंनी भाषा के संरक्षण व विकास के लिए अलख जगाने का काम कर रही कुमाऊंनी मासिक पत्रिका ‘पहरू’ के प्रयास रंग लाने लगे हैं। ‘पहरू’ की प्रेरणा से अब कई युवा कुमाऊंनी पढ़ने के साथ ही कुमाऊंनी लेखन/रचना में रुचि ले रहे हैं। इसका ताजा सबूत काव्य संकलन ‘जो य गङ बगि रै’ के रूप में सामने आया है। इस काव्य संकलन का आज विमोचन हुआ। खास बात ये है कि यह संकलन 15—25 आयु वर्ग के युवा रचनाकारों की ‘रचना उपज’ है।
उल्लेखनीय है कि कुमाऊंनी भाषा के युवा रचनाकारों (15—25 आयुवर्ग) के संयुक्त प्रयास से काव्य संकलन ‘जो य गङ बगि रै’ प्रकाशित हुई है। शुक्रवार को युवा कुमाऊंनी रचनाकार ललित तुलेरा के संपादन से प्रकाशित इस संकलन का विमोचन कार्यक्रम यहां मासिक पत्रिका ‘पहरू’ की ओर से अपने कार्यालय में आयोजित किया गया। इस पुस्तक का संपादन ने किया है। कार्यक्रम में सर्वप्रथम युवाओं के नये काव्य संकलन ‘जो य गङ बगि रै’ का परिचय प्रदान करते हुए कुमाऊंनी पत्रिका ‘पहरू’ के संपादक और कुमाउनी साहित्यकार डाॅ. हयात सिंह रावत ने कहा कि युवा कवियों का संयुक्त प्रयास अपनी कुमाउंनी के लिए बेहतरीन प्रयास है। यह युवाओं की रचनाशीलता बढ़ाने के साथ ही कुमाउनी भाषा के संरक्षण और संवर्धन को भी गति देगा।
मुख्य अतिथि एड. जमन सिंह बिष्ट ने युवाओं के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि आज कुमाऊंनी युवाओं को कुमाऊंनी भाषा में रचनाएं रचित करने व लिखने के लिए प्रोत्साहित करने की नितांत जरूरत है और युवा रचनाकारों को कुमाऊंनी में रचनाशील होने की आवश्यकता है। उन्होंने आर्थिक रूप से सक्षम कुमाउनी लोगों को युवा रचनाकारों को आर्थिक मदद करने की बात भी कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुमाउनी साहित्यकार महेन्द्र ठकुराठी ने कहा कि यह काव्य संकलन युवाओं के लिए एक नींव का पत्थर साबित होगा। उन्होंने वरिष्ठ साहित्यकारों का आह्वान किया कि युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने लिए आगे आएं। इस काव्य संकलन के संपादक ललित तुलेरा ने कहा कि यह काव्य संकलन कुमाऊंनी भाषा के विकास के लिए युवा रचनाकारों को आगे लाने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि कुमाऊंनी के प्रति युवाओं को प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है, ताकि हमारी मातृभाषा कुमाऊंनी को महत्व व सम्मान बढ़े और अपनी भाषा का संरक्षण हो सके। कार्यक्रम का संचालन शशि शेखर जोशी ने किया। विमोचन के मौके पर शोध छात्र इंद्रमोहन पंत, अमन नगरकोटी, माया रावत व अन्य लोग मौजूद थे।
इन युवाओं ने दिखाई प्रतिभा
पुस्तक ‘जो य गङ बगि रै’ में कुमाऊं के अलग-अलग जिलों के 17 युवा रचनाकारों की कविताएं शामिल हैं। जिनमें 8 महिला रचनाकार हैं। इनमें भास्कर भौर्याल, प्रदीप चंद्र आर्या, भारती आर्या, दीपक सिंह भाकुनी, गायत्री पैंतोला, हिमानी डसीला, कविता फत्र्याल, ममता रावत, मनोज सोराड़ी, रोहित जोशी, कमल किशोर कांडपाल, भावना जुकरिया, प्रकाश पांडे, पीयूष धामी , पूजा रजवार, ज्योति भट्ट, ललित तुलेरा की कविताएं शामिल हैं।

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