केदारनाथ धाम के पास हुआ हिमस्खलन, भरभराकर गिरा बर्फ का पहाड़

रुद्रप्रयाग| उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ धाम के पास चोराबाड़ी ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन देखने को मिला। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो…

केदारनाथ धाम के पास हुआ हिमस्खलन, भरभराकर गिरा बर्फ का पहाड़

रुद्रप्रयाग| उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ धाम के पास चोराबाड़ी ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन देखने को मिला। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

चोराबाड़ी ग्लेशियर में हुआ हिमस्खलन | Avalanche in Chorabari Glacier

दरअसल, गुरुवार शाम 6:30 बजे के करीब रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ धाम के पास चोराबाड़ी ग्लेशियर में हिमस्खलन हुआ। वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है कि मंदिर के पीछे स्थित पहाड़ियों से बर्फ तेजी से नीचे लुढ़क रहा है और देखते ही देखते पूरा पहाड़ बर्फ की सफेद चादर ओढ़ लेता है। हिमस्खलन की चपेट में आने वाले क्षेत्र को चोराबाड़ी ग्लेशियर कैचमेंट एरिया के रूप में जाना जाता है। यह स्थान केदारनाथ मंदिर परिसर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हालांकि, रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन का कहना है कि केदारनाथ मंदिर के पास चोराबाड़ी ग्लेशियर क्षेत्र में गुरुवार को हुए हिमस्खलन से किसी के नुकसान की खबर नहीं है। फिर भी पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड पर है। नीचे देखें वीडियो 👇👇

केदारनाथ घाटी में मौसम खराब

आपको बता दें कि केदारनाथ घाटी में बीते कुछ दिनों से मौसम काफी खराब है और तेज बारिश हो रही है। लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-वयस्त हो गया है, साथ ही तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई हैं, जिससे लोगों को ठंड का एहसास हो रहा है। भारी बारिश के बाद भूस्खलन कई सड़कें भी बंद हो गईं हैं, जिससे श्रद्धालु फंस गए हैं।

2013 में आई थी प्राकृतिक आपदा – 5,000 से अधिक लोगों की मौत

यह वही हिमालय की हिमाच्छादित झील है जो 2013 में उफान पर थी और आधुनिक समय में उत्तराखंड में सबसे विनाशकारी बाढ़ का कारण बनी थी। जून 2013 में, उत्तराखंड में असामान्य वर्षा हुई थी, जिससे चोराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया और मंदाकिनी नदी में जलस्तर विनाशकारी स्तर पर पहुंच गया। इस भयावह बाढ़ ने उत्तराखंड के बड़े हिस्से को प्रभावित किया था। कथित तौर पर, केदारनाथ घाटी में जान माल का सर्वाधिक नुकसान हुआ था। इस प्राकृतिक आपदा में करीब 5,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। केदारनाथ मंदिर परिसर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था, हालांकि, मुख्य मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा था।

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