सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
मवेशीखोर गुलदारों की दहशत फिर शुरू हो गई है। गत देर रात्रि यहां अकाशवाणी के पास एक गाय के बछड़े को गुलदार ने अपना निवाला बना लिया। भरी बसावत वाले मोहल्ले में गुलदार की चहलकदमी से यहां के स्थानीय नागरिक दहशत में आ गये हैं।
बताया जा रहा है कि करीब रात डेढ़ से दो—ढ़ाई बजे के बीच गुलदार के गुर्राने की आवाजें सुनी जा रही हैं। बीती रात भी लगभग इसी समय सीमा के बीच गुलदार ने अपना शिकार किया। गौरतलब है कि हिंसक वन्य जीवों की यह प्रवृत्ति है कि एक बार जिस स्थान पर वह शिकार को अंजाम देते हैं, वहां वह कई दिनों तक मंडराते रहते हैं। अकसर वन्य क्षेत्र से लगे बहुत से ग्रामीण इलाकों में यह परंपरा है कि जब बाघ या गुलदार किसी मवेशी को अपना शिकार बना देता है तो उक्त मवेशी का शव ग्रामीण घर पर वापस नही लाते हैं।
ताकि गुलदार पुन: आकर उसका भक्षण कर ले और आबादी वाली इलाके में बेवजह उसे मंडराने की आवश्यकता नही पड़े। किंतु शहरी क्षेत्रों में साफ—सफाई को ध्यान में रखते हुए पालिका कर्मियों द्वारा तुरंत मवेशी के शव को हटा दिया जाता है। जिससे रात को पुन: मारे गये शव को खाने को लौटा गुलदार अधिक हिंसक व उग्र हो जाता है। इधर नागरिकों ने वन महकमे से गुलदार को पकड़ने की मांग की है।
उत्तराखंड : देहरादून में लगा नाइट कर्फ्यू, गैरसैंण कमिश्नरी स्थगित, 1 से 12 तक स्कूल बंद