Big Breaking – खुशख़बरी : अल्मोड़ा कैंपस को मिला विश्वविद्यालय का दर्जा, अधिसूचना जारी, पिथौरागढ़ व बागेश्वर बने कैंपस कालेज

अल्मोड़ा। लंबी जद्दोजहद के बाद आंखिरकार अल्मोड़ा में विश्वविद्यालय बनाने का सपना साकार हो गया है। सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा अब सोबन सिंह जीना…

अल्मोड़ा। लंबी जद्दोजहद के बाद आंखिरकार अल्मोड़ा में विश्वविद्यालय बनाने का सपना साकार हो गया है। सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा अब सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय बन गया है। इसकी अधिसूचना जारी हो चुकी है। इससे अब कुमाऊं क्षेत्र में उच्च शिक्षा के नये द्वार खुलेंगे। इसके साथ ही पिथौरागढ़ व बागेश्वर महाविद्यालयों को कैंपस का दर्जा मिल गया है।
गौरतलब है कि एसएसजे परिसर अल्मोड़ा को विश्वविद्यालय बनाने का गत वर्ष ऐलान हुआ था। लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड शासन ने इसका विधेयक पारित कर स्वीकृति के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया। मगर यह विधेयक कतिपय संशोधनों के लिए वापस भेज दिया गया था।

बाद में शासन ने संशोधित विधेयक राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा। आज भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्यपाल ने सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के विधेयक को स्वीकृति प्रदान कर दी है। सत्तर पृष्ठों की अधिसूचना में स्पष्ट है कि नये विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राज्यपाल होंगे जबकि कुलपति, कुलसचिव, वित्त सचिव व परीक्षा निरीक्षक समेत विभिन्न पदों की व्यवस्था है। मगर पहले ये चार पद भरे जाएंगे। यह कुमाऊं के पर्वतीय जिलों के लिए बेहद हर्ष का विषय है। इसी के साथ पीजी कालेज पिथौरागढ़ तथा पीजी कालेज बागेश्वर को कैंपस कालेज का दर्जा मिल गया है।

इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित होंगे। उल्लेखनीय है कि स्व. शोबन सिंह जीना उत्तर प्रदेश सरकार में पर्वतीय विकास मंत्री रहे। वे उत्तराखंड़ के प्रतिष्ठित वकील व भाजपा के वरिष्ठ एवं नामी नेताओं शामिल थे। उन्हीं के नाम पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा कैंपस का नाम रखा गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 1 मार्च 1973 में स्थापित कुमाऊं विश्वविद्यालय अब दो भागों में विभक्त हो गया।

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इधर एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा के निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के वजूद में आने को क्षेत्र के लिए बेहद खुशी बताया और इसके लिए प्रदेश सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा है कि इससे रोजगार के अवसर खुलेंगे और क्षेत्र के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी। अनुदान बढ़ने से शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं को लाभ मिलेगा।

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