अल्मोड़ा: हाईकोर्ट को कुमाऊं से बाहर शिफ्ट करना राज्य की मूल अवधारणा के खिलाफ

✍️ विभिन्न संगठनों व नागरिकों की संयुक्त गोष्ठी में व्यापक मंथन ✍️ हाईकोर्ट की बैंच ऋषिकेश शिफ्ट करने पर जताई नाखुशी सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: हाईकोर्ट…

हाईकोर्ट को कुमाऊं से बाहर शिफ्ट करना राज्य की मूल अवधारणा के खिलाफ

✍️ विभिन्न संगठनों व नागरिकों की संयुक्त गोष्ठी में व्यापक मंथन
✍️ हाईकोर्ट की बैंच ऋषिकेश शिफ्ट करने पर जताई नाखुशी

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: हाईकोर्ट को कुमाऊं से अन्यत्र शिफ्ट करना न्यायोचित नहीं है और यदि जबरन ऐसा हुआ, तो वह राज्य की मूल अवधारणा के खिलाफ होगा। अगर नैनीताल से हाईकोर्ट को शिफ्ट करना आवश्यक है, तो कुमाऊं के अंदर ही शि​फ्ट किया जाए अन्यथा राज्य की राजधानी व हाईकोर्ट दोनों ही गैरसैंण में स्थापित होने चाहिए। यह विचार आज विभिन्न संगठनों व नागरिकों की मुद्दे पर आयोजित संयुक्त गोष्ठी में व्यक्त हुए। गोष्ठी में मौजूद सभी लोग हाईकोर्ट को कुमाऊं से बाहर शिफ्ट करने के खिलाफ रहे।

दरअसल, हाइकोर्ट की बैंच को ऋषिकेश शिफ्ट करने के मसले पर मंथन के लिए आज एक गोष्ठी का आयोजन इतिहासविद् डा. वीडीएस नेगी एवं सामाजिक कार्यकर्ता विनय किरौला के संयुक्त आह्वान पर होटल शिखर में आयोजित हुई। जिसमें अलग—अलग संगठनों के पदाधिकारियों एवं वरिष्ठ नागरिकों ने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए अपने विचार रखे और सुझाव प्रस्तुत किए। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अर्बन कोआपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष आनंद सिंह बगड्वाल ने कहा कि प्रदेश में नौकरशाही पूर्ण रुप से हावी प्रतीत होती है।इस नौकरशाही को जन साधारण की सुविधाओं से कोई सरोकार नहीं रह गया है, बल्कि उनका प्रयास अपनी सुख—सुविधाओं को सर्वोपरि रखना है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को शिफ्ट करना इसी सोच का हिस्सा है।

संगोष्ठी के संयोजक विनय किरौला ने कहा कि जब कोई बड़ी संस्था किसी स्थान विशेष पर स्थापित होती है, तो उसके साथ रोजगार से अवसर भी अवश्य ही जुड़ते हैं। उन्होंने कहा कि यह हाइकोर्ट की शिफ्टिंग नहीं बल्कि कुमाऊ से हज़ारों लोगों के रोजगार की भी शिफ्टिंग है। उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थाओं को कुमाऊं-गढ़वाल में बराबर बंटना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की राजधानी गैरसैंण बननी चाहिए। वहीं हाईकोर्ट भी स्थापित हो। श्री किरौला ने सरकार की मंशा पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार नए शहर बसाने की बात कर रही है, तो हाइकोर्ट गौलापार बना देना चाहिए, ताकि गोलापार स्वतः ही एक नए शहर के रूप में बस जाएगा।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि हाइकोर्ट को शिफ्ट करना हिमालय राज्य की अवधारणा पर कुठाराघात है। उत्तराखंड लोक वाहिनी के पूरन चंद्र तिवारी ने कहा कि गैरसैण राज्य के मध्य में स्थित है। इसलिए स्थाई राजधानी व हाईकोर्ट गैरसैण में होना चाहिए, ताकि कुमाऊं व गढ़वाल का सामान रूप से विकास होगा। सह संयोजक डॉ. वीडीएस नेगी ने कहा कि हाइकोर्ट शिफ्टिंग को लेकर जनमत संग्रह की बात कही है और जिसके आदेश पर यह बात की गई है, उनके खिलाफ विधायी कार्यवाही किए जाने की जरुरत है।

पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ. जेसी दुर्गापाल ने कहा कि राजधानी देहरादून से चल रही है, तो स्वाभाविक रूप से हाइकोर्ट गौलापार या रुद्रपुर यानी कुमाऊं में बने रहना चाहिए। पूर्व दर्जा राज्य मंत्री केवल सती ने कहा कि राज्य गठन की अवधारणा थी कि सभी संस्थाएं बराबर रूप से कुमाऊं-गढ़वाल में विभाजित की जायेगी। ऐसे में हाइकोर्ट शिफ्टिंग करना इस मूल अवधारणा के विपरीत है। एडवोकेट जमन सिंह बिष्ट ने कहा हाइकोर्ट की शिफ्टिंग विधि एवं न्याय मंत्रालय के क्षेत्राधिकार में आता है, इस पर हाईकोर्ट को फ़ैसला नहीं दे सकता। इस मौके पर बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कवींद्र पंत, राष्ट्रनीति संघ के प्रमुख विनोद तिवारी समेत विशाल वर्मा, सुरजीत टम्टा, जयराम आर्या, संजय पांडेय आदि भी मौजूद रहे।

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