चमोली हादसे के जिम्मेदार लोगों पर दर्ज हो गैर इरादतन हत्या का मामला, आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर लौटे पीसी तिवारी

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाउत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि चमोली जनपद अंतर्गत रणी गांव में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा प्राकृतिक…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि चमोली जनपद अंतर्गत रणी गांव में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा प्राकृतिक नही है। इस घटना के लिए वह सरकारी तंत्र और बड़े बांधों के निर्माण से जुड़ी ऐजेंसियों के लोग शामिल है, जो अपना मुनाफा कमाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि परिवर्तन पार्टी यह मांग करती है कि इस घटना के जिम्मेदार लोगों की पहचान कर सभी लोगों में गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाये।
आपदाग्रस्त क्षेत्र चमोली के रैणी गांव व आस—पास के इलाके का दौरा कर लौटे पीसी तिवारी ने यहां आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि सरकार इसे ग्लेशियर टूटने से आई प्राकृतिक आपदा बता कर अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रही है। हालत यह है कि इस आपदा में मारे गये लोगों की संख्या में कम बताने का प्रयास चल रहा है। जबकि हकीकत तो यह है कि मारे गये बहुत से लोगों के शव अब तक नही निकाले जा सके हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि शासन—प्रशासन की उन शवों का निकालने की मंशा ही नही रह गई है। उन्होंने कहा कि इस हादसे में एक बात साफ हुई है कि वहां काम कर रहे मजदूरों व अन्य लोगों की सुरक्षा के कोई बेहतर इंतजाम ही नही थे। यहां ​तक कि हादसे के दौरान लोगों को सतर्क करने के लिए अलार्म भी नही लगाया गया था। उपपा का यह कहना है कि इस मामले में एनटीपीसी के अधिकारियों की सबसे बड़ी भूमिका है। संस्था की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि आज पूरे देश से लोगों लापता हुए अपने परिजनों को ढूंढने आ रहे हैं, लेकिन उन्हें ढूंढने का प्रयास ही नही किया जा रहा है। पीसी तिवारी ने कहा कि उन्होंने तमाम प्रभावित लोगों से भी व्यक्तिगत मुलाकात करके मामले की जानकारी ली। इसमें यह बात सामने आई कि आपदा में मारे गये लोग कोई प्राकृतिक मौत नही मरे बल्कि एक तरह से उनकी बलि ली गई है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में विकास के नाम पर बन रहे बड़े—बड़े बांधों से उत्तराखंड का कतई भी भला नही हो पा रहा है। यहां पर्याप्त मात्रा में बिजली है, लेकिन उसका समुपयोग करने के बजाए बड़े बांधों के माध्यम से बिजली उत्पादन कर उसे उत्तराखंड से बाहर बेचा जाता है। यानी उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों को खोखला कर बड़ी आपदाओं का न्यौता दिया जा रहा है, आम जनता के जीवन के साथ खेला जा रहा है और जनता को विकास का नाम देकर सीधे—सीधे बरगलाने का काम सरकारें कर रही हैं। पीसी तिवारी ने कहा कि उनकी यह भी मांग है कि आपदा प्रभावितों को तत्काल मुआवजा दिया जाये तथा अब बड़े बांधों के निर्माणों पर हर जगह रोक लगाई जाये। यदि ऐसा ही चलता रहा तो उत्तराखंड को बरबाद होने से कोई रोक नही सकता। प्रेस वर्ता में आनंदी वर्मा, गोपाल राम, धीरेंद्र मोहन पंत, किरन आर्या आदि मौजूद थे।

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