बोले सीएम धामी, ”डायट डीएलएड की भर्ती प्रक्रिया शुरू करवाने को प्रतिबद्ध है सरकार !”
सीएनई रिपोर्टर, देहरादून
- सीएम से मिला आंदोलित प्रशिक्षितोंं का प्रतिनिधिमंडल
- सीएम से मिला सकारात्मक आश्वासन
- कहा महाधिवक्ता ही करेंगे पैरवी
विगत 24 दिनों से प्राथमिक शिक्षक भर्ती को शीघ्र पूर्ण करने की एक सूत्रीय मांग को लेकर शिक्षा निदेशालय में दिन रात्रि के धरने पर बैठे डायट डीएलएड प्रशिक्षितों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार सुबह अपने सभी विधायकों को ज्ञापन देने के बाद देर शाम को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की।
प्रशिक्षितों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती विगत 3 वर्षों से लंबित है, जिसका मुख्य कारण भर्ती संबंधी वादों का न्यायालय में प्रभावी पैरवी न होना है। इसलिए भर्ती को शीघ्र पूरी कराने हेतु भर्ती संबंधी समस्त वादों की पैरवी राज्य के महाधिवक्ता से करवाई जाए। मुख्यमंत्रीजी आश्वासन दिया कि सरकार भर्ती को शीघ्र पूर्ण कराने को लेकर प्रतिबद्ध है और अगली सुनवाई में इसकी पैरवी महाधिवक्ता ही करेंगे।
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डायट डीएलएड प्रशिक्षित मुकेश चौहान ने बताया कि एक ओर जहां डायट डीएलएड संघठन प्राथमिक शिक्षक भर्ती को शीघ्र अतिशीघ्र पूर्ण करवाने के लिए शिक्षा निदेशालय में विगत 24 दिनों से धरना प्रदर्शन, क्रमिक अनशन, दिन रात्रि धरना, कैंडल मार्च, सचिवालय कूच, विधानसभा कूच कर चुका है वहीं दूसरी ओर बीएड महासंघ प्राथमिक शिक्षक भर्ती को पूर्ण करने की बजाय पद वृद्धि के साथ साथ उन जिलों मे विज्ञापन जारी करने की मांग कर रहा है। जिन जिलों के बारे में विभागीय अधिकारी यह बता चुके हैं कि इन जिलों मे पहले से ही शिक्षक सरप्लस चल रहे हैं और अगर विज्ञापन फिर से निकलता है तो फिर यह मुद्दा न्यायालयी प्रकरण के तहत आ जायेगा। ताजा खबरों के लिए WhatsApp Group को जॉइन करें 👉 Click Now 👈
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मुख्यमंत्री से मिलने गए डायट डीएलएड के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से कहा कि उनके द्वारा घोषित किए गए 22 हजार सरकारी पदों में प्राथमिक शिक्षक भर्ती के भी तीन हजार पद भी सम्मिलित हैं। अगर न्यायालय वादों के कारण प्राथमिक भर्ती समय से पूरी नहीं होती है तो 22 हजार पदों पर रोजगार देने का वादा भी अधूरा रह जाएगा।

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बताते चलें कि 2017 से राज्य के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जा सकी है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 21 क और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन हो रहा है। जिस कारण राज्य की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है। विख्यात शिक्षाविदों के अनुसार कोरोना के चलते प्रभावित हुई शिक्षा व्यवस्था के कारण एक कम समझदार पीढ़ी की आशंका जताई जा रही है और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी प्राथमिक विद्यालयों को खोलने की कवायद शुरू हो चुकी है। उत्तराखंड सरकार भी जल्द से जल्द प्राथमिक विद्यालयों में भौतिक रूप से शिक्षण कार्य शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है।
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इससे पहले राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में 1:30 के RTE मानक के अनुसार शिक्षकों की पूर्ति हेतु वर्तमान शिक्षक भर्ती संपन्न कराने के लिए सरकार के द्वारा एक भर्ती कैलेंडर जारी किया गया। जिसके अनुसार जून 2021 तक प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की जानी थी, परंतु सरकार की उदासीनता और विभाग की लेटलतीफी से यह भर्ती निश्चित समय पर संपन्न नहीं हो पाई जिससे राज्य के नौनिहाल बच्चों और प्रशिक्षित बेरोजगारों का अहित हो रहा है और राज्य के बेहतर भविष्य के ऊपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।