आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक बेहद चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है। यहां एक महिला का अंतिम संस्कार कर घर लौटे पति की पांवों तले जमीन तब खिसक गई, जब उसने देखा कि जिस पत्नी की चिता को खुद उसने अपने हाथों से अग्नि दी थी, वही घर के आंगन की बैंच में आराम से बैठी हुई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह घटना आंध्र प्रदेश, कृष्णा जिले के जग्गैयापेट कस्बे में घटी है। जहां 75 साल की गिरिजाम्मा नाम की एक महिला को कोविड संक्रमण की चपेट में आने के बाद जिले के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
महिला का पति गदय्या रोजाना उसका हालचाल पूछने अस्पताल जाता था। गत दिनों जब वह रोज की तरह अस्पताल पहुंचा तो पत्नी को बेड में नही पा हैरान हो गया। पूछने पर नर्स ने बताया कि उनकी पत्नी की मौत हो गई है। यह घटना 15 मई की है।
इसके बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से उससे शवगृह में पत्नी की पहचान करवाई गई। शव को जब उसने पहचान लिया तो पैक कर बॉडी दे दी गई।
इसके बाद वह अंतिम संस्कार के लिए अपनी पत्नी की बॉडी को अपने गांव ले गया। तभी एक अन्य दु:खद खबर आई की उसके बेटे मुथयाला रमेश की भी कोरोना से मौत हो गई है। इसके बाद परिवार में रोना—पीटना मच गया।
फिर ग्रामीणों ने फैसला लिया कि दोनों मां—बेटे की अंतिम क्रिया एक साथ की जायेगी। इसके बाद अपनी पत्नी व बेटे का दाह संस्कार कर वह वापस घर लौटा। वहां उसने पाया कि उसकी पत्नी एक बैंच पर बैठी हुई थी। आते ही वह अपने पति पर बरस पड़ी कि वह उसे लेने अस्पताल क्यों नही आया ? उसे तीन हजार उधार कर टैक्सी लेकर अकेले घर लौटना पड़ा।
इधर इस घटना के बाद साफ तौर पर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का मामला प्रकाश में आ गया। सारी तस्वीर साफ हो गई कि अस्पताल प्रशासन ने किसी अन्य महिला का शव उसे सौंप दिया।
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इधर पति का कहना है कि वह पीपीई किट नही पहने था। इस कारण नजदीक से शव को नही देख पाया। दूर से देखने पर वहां रखा शव भी उसे अपनी पत्नी की तरह ही लगा और उसने उसे ले लिया। फिर कोरोना संक्रमण से हुई मौत के चलते बॉडी पूरी तरह पैक थी। अंतिम क्रिया के दौरान भी वह लाश का चेहरा नही देख पाया। जिस कारण यह सारी गलफत पैदा हो गई।
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