सीएनई रिपोर्टर
कोरोना वायरस क्या है और कैसे फैलता है, इसको लेकर अब तक काफी शोध हो चुके हैं और अब भी जारी हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि कोरोना की रोकथाम के लिए बरती जाने वाली सावधानियों क्या पर्याप्त हैं ? यदि एक लेटस्ट शोध पर यकीन करें तो कोरोना सांस लेने, बातचीत करने और हवा से भी फैल सकता है। यदि यह शोध सही है तो समझ लीजिए कि दो मीटर की दूरी वाले नियम का पालन करने से कोई इस वायरस से बच नही सकता और यदि हवा से भी यह फैलता है तो इसे रोक पाना नामुमकिन सा प्रतीत होने लगा है।
सही कहें तो कोरोना पूरे विश्व के वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली है, जिसे कोई भी आज तक पूरी तरह नही सुलझा पाया है। बस आधा—अधूरा जितना भी वैज्ञानिकों के समझ में आता है आम जनता के लिए सेफ्टी मेजर्स लागू कर दिये जाते हैं। हाल में वैज्ञानिकों के एक समूह ने दावा किया कि कोरोनो वास्तव में हवा से फैलने वाला वायरस है। जिसका अर्थ यह हुआ कि यह वायरस हवा से एक-दूसरे को फैल सकता है। यह दावा वैज्ञानिकों की उस पुरानी खोज से उलट है। जिसमें कहा गया कि यह मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से फैलने वाली बीमारी है। इससे पहले महामारी शुरू होने पर वैज्ञानिक इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि यह बीमारी कोरोना संक्रमितों के बोलने या सांस लेने से फैल रही है। हालांकि उनके पास इन बात के कोई ठोस सबूत नहीं थे। अब नेब्रास्का विश्वविद्यालय में किए गए शोध में पहली बार बताया गया है कि माइक्रो ड्रॉपलेट्स के बेहद बारीक कणों के जरिए भी कोरोना वायरस फैल सकता है। इससे इस धारणा को बल मिलता है कि खांसने और छींकने से ही नहीं बल्कि बोलने और सांस लेने से भी कोरोना वायरस फैल सकता है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों की इस धारणा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं कि दो मीटर दूरी रखने से इस महामारी से बचा जा सकता है। अलबत्ता इतना ही कहा जा सकता है कि यदि कोरोना से निपटना है तो जल्द से जल्द विश्व के वैज्ञानिकों को कोरोना के वास्तविक स्वरूप और प्रवृत्ति को समझ किसी अंतिम नतीजे पर सर्वसम्मति से पहुंचना होगा। नही तो कोरोना के बढ़ते फैलाव को कोई रोक नही सकता।
नई थ्योरी ने वैज्ञानिकों के उड़ा दिये होश, सांस लेने, बात करने और हवा में से भी फैल रहा कोरोना वायरस
सीएनई रिपोर्टरकोरोना वायरस क्या है और कैसे फैलता है, इसको लेकर अब तक काफी शोध हो चुके हैं और अब भी जारी हैं। सबसे बड़ा…