ALMORA NEWS: चरस तस्करी के अलग-अलग मामलों के तीन आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ायहां विशेष सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुलतान की अदालत ने चरस तस्करी के दो अलग-अलग मामलों के तीन आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज…

बागेश्वर: मारपीट के आरोपी को एक साल की सदाचरण परिवीक्षा में छोड़ा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
यहां विशेष सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुलतान की अदालत ने चरस तस्करी के दो अलग-अलग मामलों के तीन आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
चरस तस्करी के एक मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुलतान के न्यायालय ने आरोपी खुशाल सिंह पुत्र स्व. लक्ष्मण सिंह, निवासी ग्राम भेटी, दयारखोली, तहसील धारी, जिला नैनीताल की जमानत अर्जी खारिज कर दी। आरोपी खुशाल सिंह के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला चल रहा है। मामला 30 नवंबर, 2020 का है। जब चेकिंग के दौरान पुलिस ने मोरनौला के समीप उसे 1 किलो 800 ग्राम चरस अवैध चरस के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा। आज आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। उसकी जमानत का जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) पूरन सिंह कैड़ा ने विरोध किया और न्यायालय को बताया कि यदि खुशाल सिंह को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उसके दुबारा अवैध मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त होने की संभावना है। न्यायालय ने पत्रावली का अवलोकन कर जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
चरस तस्करी के ही एक दूसरे मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुलतान की अदालत ने आरोपी प्रताप राम आर्या पुत्र धनी राम आर्या तथा पवन सिंह दानू पुत्र जतिन सिंह दानू, निवासीगण ग्राम सौराग, थाना कपकोट, जिला बागेश्वर की जमानत अर्जी खारिज कर दी। मामले के मुताबिक 27 जनवरी, 2021 को मुखबिर की सूचना पर उन्हें पुलिस ने लोधिया बैरियर अल्मोड़ा के पास 3 किलो 523 ग्राम अवैध चरस के साथ पकड़ा। जो बुलेट संख्या यूके 15बी-5487 में सवार थे। उनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा कायम करते हुए जेल भेजा। दोनों आरोपियों ने आज अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में जमानत के लिए अर्जी लगाई। जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) पूरन सिंह कैड़ा ने उनकी जमानत का घोर विरोध करते हुए अदालत को बताया कि यदि आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उनके दुबारा मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त होने की आशंका है और उनके अदालत में उपस्थित नहीं होने, विवेचना में सहयोग नहीं करने या भागने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने पत्रावली का अवलोकन कर सुनवाई करते हुए दोनों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।


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