बागेश्वर। जंगल धू-धू कर जल रहे हैं, जानवर वन तस्करो के हाथो मारे जा रहें है।वन विभाग बेपरवाह बन बस तमाशा देख रहा है। आग से वन संपदा के साथ ही पर्यावरण को भी खास नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही उठने वाले धुंए से लोगों की मुश्किलें बढ़ रही है । विभाग के पास आग बुझाने की रणनीति सिर्फ फायर सीजन में ही रहती है, अक्तूबर में जंगल धू-धू कर जल रहे हैं।
जिन्हें बुझाने की कोशिश दिख नहीं रही है। अभी कुछ समय पहले मनकोट के पास छतीना के जंगल जल रहें थे और बाद में काफी जंगल जलने के बाद आग अपने आप बुझ गई थी। वहीं आज सुबह से अब तक कुकड़ा माई मंदिर वाली पहाड़ी के जंगल धू धू कर जल रहें है। लेकिन विभाग की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही है। जंगल बागेश्वर रेंज में आते हैं। इस बीच ग्रामीण अपने कार्यों में व्यस्त हैं। बावजूद इसके शिकायत करने के बाद भी वन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
वहीं वन विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठना लाजमी है। कल ही बागेश्वर पुलिस ने इंटरनेशनल मार्केट में एक करोड़ की अनुमानित राशि की भालू की पित्त और कस्तूरी मृग की कस्तूरी बरामद की है। जंगल और जानवर वन विभाग की सम्पदा हैं। जंगल जल रहें है और जानवरों के बॉडी पार्टस तस्करों की गाड़ियों में मिल रहें है। तो क्या वाकई वन विभाग बागेश्वर अपना काम कर रहा है।