सीएनई संवाददाता, अल्मोड़ा
तिथि — 04 सितंबर, 2020
उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोक गायक स्वर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी के यादों को संजोने के लिए बनाया गया चौखुटिया के चांदीखेद में स्थित समाधिस्थल एवं उनके नाम पर बना संगीत भवन बदहाल दशा में है। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जीवित रहते जिस महान गायक को उत्तराखंड रत्न सहित तमाम उपाधियों से नवाजा गया, मरणोपरांत उनकी कोई पूछ नही हो रही है।
गोपाल बाबू गोस्वामी सांस्कृतिक कला समिति अल्मोड़ा ने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है कि स्व. गोस्वामी ने जीवन भर अपने संगीत एवं गीतों के माध्यम से जन—जन तक प्रेम शांति, सद्भावना और उत्तराखंड की लोक संस्कृति को बढ़ाने एवं जीवित रखने का कार्य किया। अत्यंत दु:ख का विषय है कि आज उत्तराखंड के इस महान गायक की समाधि के आस—पास कूड़े का ढेर लगा है तथा चारों तरफ घास और झाड़ियां उग आई हैं। समाधि भी जीर्ण—शीर्ण हालत में है। यही नही उनके नाम पर बना भवन व अन्य कमरे क्षतिग्रस्त हालत में हैं। जिसमें कभी भी कोई हादसा हो सकता है। उन्होंने प्रशासन से समाधि के चारों ओर पक्की दीवार, गेट एवं फर्श का नव निर्माण करवाने, समाधि के पास स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी की प्रतिमा स्थापित करने, स्व. गोस्वामी के नाम पर बना संगीत भवन एवं अन्य कमरों का सुधारीकरण करने तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु मंच का नव निर्माण करने की मांग की। इधर विहान समाजिक एवं सास्कृतिक समिति अल्मोड़ा, मल्लिका लोक कला समिति हल्द्वानी, देवभूमि मां शारदे संस्था अल्मोड़ा, सांस्कृतिक कला समिति रामनगर, लोकवाणी एशोसिएशन, राम मंदिर समिति धारानौला, प्रवाह सांस्कृतिक एवं जन कल्याण समिति अल्मोड़ा ने भी इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है। ज्ञापन में गोपाल बाबू गोस्वामी सांस्कृतिक कला समिति अल्मोड़ा के अध्यक्ष आशीर्वाद गोस्वामी, दवेंद्र भट्ट, रितेश जोशी, ममता वाणी, माया उपाध्याय, गोपाल चम्याल, गोपाल भट्ट, चंदन नेगी, राजेंद्र तिवारी, चंद्रा चौहान, संदीप नयाल, नरेश बिष्ट, मोहन राम दास, अरूण तिवारी, राजेंद्र आर्या आदि के हस्ताक्षर हैं।
प्रिय मनराल दा, आपने एक महत्त्वपूर्ण बिंदु को रिपोर्ट किया है। गोपाल बाबू गोश्वामी जी लोक के चितेरे हैं। कुमाउनी समाज इन्हीं के गीत सुनकर लोक के अवयवों को समझा है। सरकारों को लोककलाकारों की सुध लेनी चाहिए। समाज तभी जिंदा है,जब लोक जिंदा है।