सीएनई रिपोर्टर, पनुवानौला
शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध झांकर सैम मंदिर (अल्मोड़ा) के कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत (Kumaon Commissioner Deepak Rawat) ने दर्शन किए और मंदिर की वास्तुकता के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने सैम देवता को शीश निवाया और हाथ जोड़े।
झांकर सैम मंदिर की जानी विशेषता
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत सैम मंदिर की विशेषता के बारे में जानकारी ली। उसके बाद कुमाऊं कमिश्नर द्वारा झांकर सैम के प्रसिद्ध कुंड के भी दर्शन किए। जिसमें स्थानीय निवासियों व पंडितों द्वारा उन्हें सैम जी के कुंड के बारे में और कुंड की विशेषताओं के बारे में बताया।
कुंड के पानी को किया ग्रहण
उसके बाद कुंड के पानी को उनके द्वारा ग्रहण किया गया। मंदिर के पुजारियों व ग्राम प्रधान द्वारा उन्हें प्रतीक चिन्ह भी प्रदान किया गया। जिसमें उनके साथ तहसीलदार भनोली बरखा जलाल, ग्राम प्रधान (काना) दान सिंह मेहता, चंदन मेहता, पुजारी देवी दत्त पांडे, मंदिर कमेटी अध्यक्ष देवी दत्त पांडे, ग्राम ग्राम प्रधान दान सिंह, चंदन सिंह, दिनेश रावत, राजेंद्र सिंह, आज सिंह, रमेश सिंह, नारायण सिंह, मोहन सिंह तथा अन्य स्थानीय लोग भी मौजूद रहे।
झांकर सैम के मंदिर के बारे में
झांकर सैम (Jhankar Saim Temple) भगवान शिव के सबसे विख्यात मंदिरों में से एक उत्तराखंड के जागेश्वर धाम से 03 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मान्यता है कि जागेश्वर धाम में तरुण जागेश्वर के रूप में स्थापित किये जाने से पहले भगवान शिव ने यहां तप किया था। जब वे यहां तप कर रहे थे सप्तर्षियों की पत्नियां उनके आकर्षण से मोहित हो गईं। इस से सप्तर्षि क्रुद्ध हो गए और भगवान शिव को तरुण जागेश्वर में स्थापित किया गया। वे झांकर सैम में वे सैम देवता के रूप में मौजूद हैं। यह भी मान्यता है कि इस मंदिर को शिवजी की जटाओं के कारण यह नाम मिला। इस मंदिर में भगवान शिव और महाकाली का वास माना जाता है। झांकर सैम का महात्म्य ‘मानसखंड’ में भी वर्णित है।