📌 पुरानी पेंशन बहाली, प्रोन्नत वेतनमान आदि मांगें प्रमुख
✒️ मंडल अध्यक्ष कुमाऊं इं. एसएस डंगवाल ने किया भागीदारी का आह्वान
देरादून। उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ का प्रोन्नत वेतनमान, पुरानी पेंशन बहाली सहित विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी देहरादून में चल रहा धरना लगातार जारी है। कल 11 मई बृहस्पतिवार को देहरादून, यूएस नगर, नैनीताल व अल्मोड़ा में कार्यरत महासंघ के समस्त सदस्य धरने में प्रतिभाग करेंगे।
उल्लेखनीय है कि डिप्लोमा इंजीनिर्स की प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन योजना को लागू किये जाने। कनिष्ठ अभियन्ता को सेवा नियमावली में पदोन्नति की पात्रता के अनुसार तीन पदोन्नति देने। पदोन्नत वेतनमान। पीएमजीएसवाई खण्डों में लोनिवि के पूर्व में स्वीकृत संवर्गीय पदों का पुनर्जीवन। तबादला कानून में संशोधन और सत्र के अलावा अन्य समय तबादले न किए जाने। वित्त-कार्मिक विभाग से जारी होने जीओ को सभी विभागों में लागू किया जाने। लघु सिंचाई में वर्ष 2013 में नियुक्त कनिष्ठ अभियंताओं को सहायक अभियंता पदनाम और 4800 ग्रेड पे का लाभ देने आदि शामिल हैं।
इधर मंडल अध्यक्ष कुमाऊं इं. एसएस डंगवाल ने तीनों जनपद अध्यक्षों व सचिवों को निर्देश दिए कि धरना कार्यक्रम में समस्त सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य रूप से हो। उन्होंने कहा कि प्रमुख मांगों में प्रोन्नत वेतनमान, मोटरसाइकिल-कार अनुश्रवण भत्ता देने, एक सेवा नियमावली और पुरानी पेंशन लागू करना मुख्य रूप से शामिल हैं।
पदाधिकारियों का कहना है कि डिप्लोमा इंजीनियर्स की समस्याओं के समाधान हेतू महासंघ के द्वारा सरकार व शासन स्तर पर लगातार अनुरोध करने के पश्चात भी समस्याओं का समाधान नही हो पाया है। पूर्व में कैबिनेट मंत्री वित्त उत्तराखण्ड सरकार एवं मुख्य सचिव महोदय उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लिए गये निर्णयों का अनुपालन भी नही किया जा रहा है। जिस कारण उत्तराखण्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के सभी सदस्यों में भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विभिन्न विभागों में कार्यरत डिप्लोमा इंजीनियर्स की लम्बित समस्याओं के समाधान हेतु शासन द्वारा “डिप्लोमा इंजीनियर्स समस्या समाधान समिति” का गठन किया गया था। विगत 2 वर्षो से अधिक समय से समाधान समिति की बैठक आयोजित नही हो पाई है जो बहुत खेद जनक है।
सदस्यों ने कहा कि शासन स्तर पर महासंघ के साथ किये जा रहे अन्याय से सदस्यों में आक्रोश उत्पन्न हो रहा है। जिस कारण महासंघ विवश होकर आंदोलन की राह पकड़ चुका है। हालांकि महासंघ आंदोलन तथा हड़ताल का पक्षधर नही है, परन्तु शासन स्तर पर किये जा रहे अन्यायपूर्ण व्यवहार व हठधर्मिता के कारण महासंघ के पास इसके अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प भी नही है।