विक्की पाठक
मोटाहल्दू। बरसात से किसानों के चेहरे पर मुस्कान नजर आ रही है, तो कहीं ना कहीं अधिक मात्रा में बारिश का होना किसानों के सामने मुसीबत बन कर भी बरस रहा है। विदित हो कि पिछले दो दिन से हो रही बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। इसके साथ ही धान की रोपाई का काम भी तेज हो गया है, ज्यादातर किसानों ने धान की पौंद को अपने खेतों में लगा दिया है तो वही प्राचीन युग से चली आ रही मान्यता अनुसार कई किसान हरेला पर्व के बाद ही अपने खेतों में धान की रोपाई करते हैं। यह बारिश फसलों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है।
क्षेत्र में हुई बारिश से लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत महसूस हुई तो वहीं किसानों के चेहरों पर भी रौनक आ गई। बारिश न होने के कारण धान रोपाई के बाद खेतों में दरारें पड़ने लगी थी, जिससे किसान मायूस हो गए थे। किसान जैसे-तैसे निजी संसाधनों से अपनी फसल को बचाने में जुटे हुए थे। हालांकि छोटे किसान फसल की सिंचाई व रोपाई के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए थे,
किसानों की माने तो जून महीने से धान की रोपाई का काम शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार बारिश देरी से होने के कारण धान की रोपाई भी देरी हो रही थी। कुछ किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी थी। पर काफी दिनों से बारिश न होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस बारिश से उन किसानों को अधिक फायदा हुआ है, जिनके पास सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं हैं।
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आइए किसानों से जानते हैं कि यह बरसात कितने फायदेमंद है और कितने नुकसान दे।
लगातार हो रही बरसात किसानों के लिए इस समय धान की फसल के लिए वरदान साबित हो रही है, बरसात से वातावरण में पौधों को नाइट्रोजन मिलेगा वही धान के साथ-साथ लौकी, कद्दू, तोरई, करेला, ककड़ी आदि के लिए यह बारिश अच्छी है तो वही दलहनी फसले जैसे सोयाबीन, भट्ट, उड़द आदि के लिए यह बरसात नुकसानदेह है अधिक बरसात होने से खेतों में पानी भर जाने के कारण यह फसल सड़ भी जाती है इनके लिए ढालूदार खेत होने चाहिए। (जैविक प्रशिक्षक अनिल पांडे)
यह समय धान की रोपाई का है इस समय जगह-जगह ट्यूबवेल व नलकूप फूंके हुए हैं इस बरसात से किसानों ने काफी हद तक राहत की सांस ली है, उन्होंने बताया कि इस समय 1 एकड़ में धान की फसल वह तीन बीघा में गन्ने की फसल लगाई है, बारिश से काफी हद तक फसल को फायदा हो रहा है, मवेशियों के लिए लगाए गए चारे को भी बरसात के पानी से काफी मदद मिलती है, इस समय बरसात का अधिक मात्रा में होना किसानों के लिए शुभ संकेत है। (प्रकाश जोशी किसान व लेखाकार सहकारी समिति)