Notebook Paper Making| इंसान की जिंदगी में कागज की अलग ही अहमियत है। किसी न किसी तरह हर इंसान कागज का इस्तेमाल करता है। घर हो, स्कूल, कॉलेज या फिर ऑफिस हर जगह पेपर का इस्तेमाल होता है। नोट्स बनाने हों या होमवर्क करना हो, पेपर के बिना यह संभव नहीं होता है। हर कोई जानता है कि पेपर पेड़ से बनता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कौन सा पेड़ होता है? एक पेड़ से कितना पेपर बन सकता है और पेपर बनाने की क्या प्रॉसेस होती है? आइए समझते हैं।
पेड़-पौधों में जो सेल्यूलोज एक चिपचिपा पदार्थ होता है। इसी से कागज बनता है। सेल्यूलोज पेड़-पौधों की लकड़ियों में पाया जाता है। सेल्यूलोज के रेशों को जोड़-जोड़कर एक पतली परत बनाई जाती है और इसी तरह कागज बनाया जाता है। कागज की क्वालिटी क्या है, यह सेल्यूलोज की शुद्धता पर निर्भर होती है। यही कारण है कि सेल्यूलोज जितना शुद्ध होता है, उतना ही महंगा भी।
कागज पेड़ से तो बनता है लेकिन यह हर पेड़ से नहीं बनता। पेपर हमेशा ही सॉफ्टवुड या हार्डवुड पेड़ से बनता होता है। इनमें चीड़, मेपल, भूर्ज, सनोबर, हेमलोक, प्रसरल, लार्च और बांज के पेड़ शामिल हैं।
कागज बनाने के लिए कितने पेड़ों की जरूरत होती है यानी एक पेड़ से कितना कागज बनाया जा सकता है। 12 से 17 पेड़ में एक टन कागज तैयार होता है। हाई क्वालिटी की प्रिंटिंग और मैगजीन के लिए कोटेड पेपर का इस्तेमाल होता है। यही कारण होता है कि इसके लिए पल्प की ज्यादा जरूरत होती है। इस हिसाब से अगर एक टन पेपर तैयार होगा तो 15 पेड़ों की जरूरत पड़ती है। न्यूजपेपर वाले कागज को बनाने के लिए 12 पेड़ की आवश्यकता पड़ती है।
कागज बनाने का पूरा प्रोसेस
कागज बनाना है तो सबसे पहले ऐसे पेड़ की लकड़ी की तलाश की जाती है, जिसमें रेशों की मात्रा ज्यादा होती है। इसके बाद इस पेड़ की लकड़ी को गोल-गोल टुकड़ों में काट लिया जाता है और छिलके हटाने के बाद उन्हें फैक्ट्री ले जाया जाता है। इसके बाद इस लकड़ी की लुगदी बनाई जाती है। लुगदी बनाने के दो तरीके होते हैं। पहला मैकेनिकल पल्प और दूसरा केमिकल पल्प तरीका।
मैकेनिकल के लिए लुगदी बनाने में केमिकल की जरूरत पड़ती है। इस तरीके से कागज का इस्तेमाल न्यूजपेपर या मैगजीन बनाने में होता है। केमिकल पल्प तरीके में जो कागज बनता है वो मैकेनिकल पल्प से बने कागज से ज्यादा चिकना, चमकदार और अच्छी क्वालिटी का होता है।
जब पल्प तैयार होता है इसे अच्छी तरीके से पीटा जाता है और फिर उसे निचोड़ा जाता है। इसके बाद इसमें फिलर का इस्तेमाल करता है। ये फिलर चाक, मिट्टी या केमिकल होते हैं और उन्हें मिलाया जाता है। अब पल्प यानी लुगदी बनाने एक आटोमेटेड मशीन में डाला जाता है। यहीं कागज बनता है। फिर इस कागज को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर मैगजीन, न्यूजपेपर और नोटबुक जैसी चीजें बनाई जाती हैं।
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