ALMORA NEWS: लीसा रायल्टी के लिए वन पंचायतों का इंतजार होगा खत्म, चल पड़ी रायल्टी भुगतान की कार्रवाई, 555 वन पंचायतों को होना है करीब 2.63 करोड़ का भुगतान, कार्यशाला कल

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाजिले में 555 वन पंचायतों को लीसा रायल्टी का लगभग 2.63 करोड़ रुपये का भुगतान होगा। अल्मोड़ा वन क्षेत्र की 108 वन पंचायतों…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
जिले में 555 वन पंचायतों को लीसा रायल्टी का लगभग 2.63 करोड़ रुपये का भुगतान होगा। अल्मोड़ा वन क्षेत्र की 108 वन पंचायतों का लीसा रायल्टी का करीब 44.71 लाख रुपये का भुगतान कल यानी 26 फरवरी को एनटीडी में लगने शिविर में होगा। इससे पहले रायल्टी वितरण में आने वाली समस्याओं का निस्तारण होगा। साथ ही फायर सीजन को देखते हुए वन महकमा कार्य योजना बनाने में जुट गया है और वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए जन सहयोग लेने की ठानी है।
पत्रकारों से मुखातिब अल्मोड़ा वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव ने कहा कि पंचायती वनों से उत्पादित लीसे के निस्तारण के फलस्वरूप वर्ष 2015 लीसा फसल में 555 वन पंचायतों को लीसा रायल्टी का लगभग 2.63 करोड़ रुपये के भुगतान की कार्रवाई गतिमान है। यह भुगतान आनलाइन संबंधित खातों में किया जाना प्रस्तावित है। अल्मोड़ा वन प्रभाग द्वारा एनटीडी स्थित वन चेतना केंद्र अल्मोड़ा में कल यानी 26 फरवरी को कार्यशाला आहूत की गई है। जिसमें वन संरक्षक, उत्तरी कुमाऊं वृत्त, उत्तराखंड, अल्मोड़ा तथा प्रभागीय वनाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा जिला वन पंचायत परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष गणेश दत्त जोशी के साथ अल्मोड़ा वन क्षेत्र अंतर्गत आने वाली 108 वन पंचायतों को लीसा रायल्टी के भुगतान के लिए शिविर भी लगाया लगेगा। जिसमें करीब 44.71 लाख रुपये की रायल्टी का भुगतान होगा और अग्रिम भुगतान अन्य रेंजों में किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कार्यशाला में वन पंचायतों द्वारा आजीविका सृजन हेतु बांस रोपण, वन औषधी रोपण व नर्सरी उगान समेत कई अन्य विषयों पर चर्चा की जाएगी।
जनपद के वन क्षेत्रों की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए श्री यादव ने कहा कि अल्मोड़ा जनपद में करीब 70 हजार हेक्टेअर आरक्षित वन क्षेत्र, 70 हजार हेक्टेअर पंचायती वन क्षेत्र तथा 40 हजार हेक्टेअर सिविल वन क्षेत्र है। 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो चुका है। बड़ा वन क्षेत्र होने से फायर सीजन में वनाग्नि की घटनाओं की संभावना बनी रहती है। इन घटनाओं को रोकने या नियंत्रण के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। आग की घटना होते ही कंट्रोल रूम से सभी को सतर्क किया जाएगा और ग्राम प्रधानों, सरपंचों, आम नागरिकों तथा अधिकारियों व कर्मचारियों से सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसमें जनसहयोग बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि जनपद में लगभग कुल 2100 वन पंचायतें हैं, जिनमें रोजगार की संभावनाएं काफी हैं। इन संभावनाओं पर खरा उतरने के लिए पूरे प्रयास चल रहे हैं। उत्तराखंड वन पंचायत नियमावली 2005 यथा संशोधित 2012 के द्वारा वन पंचायतों को अनेक अधिकार दिए गए हैं। सरपंच व वन पंचायत प्रबंध समिति को वन पंचायतों की अतिक्रमण, अवैध पातन, अवैध खनन व वनाग्नि से सुरक्षा की जिम्मेदारी निर्धारित की गई है।

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