Bageshwar: जिले में 15 घंटे बारिश ने जनजीवन किया अस्त-व्यस्त, तीन मकान ध्वस्त

मलबे से 18 मोटरमार्ग में थम गए थे वाहनों के पहिए, पेयजल योजना भी क्षतिग्रस्त सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वरशुक्रवार शाम चार बजे से जिले में बारिश…

  • मलबे से 18 मोटरमार्ग में थम गए थे वाहनों के पहिए, पेयजल योजना भी क्षतिग्रस्त

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
शुक्रवार शाम चार बजे से जिले में बारिश का सिलसिला शुरू हुआ, जो शनिवार सुबह सात बजे तक चलता रहा। करीब 15 घंटे लगातार हुई बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। आरे के पास काभड़भ्यौल के पास पहाड़ी दरकने से यातायात बंद हो गया। गनीमत रही कि उस वक्त वहां पर एक भी वाहन नहीं था, वरना यह मार्ग सबसे अधिक व्यस्त मार्ग है। छह घंटे बाद मलबा हटाया जा सका। इसके अलावा जिले में 17 सड़कें बंद हो गई थी। लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

शनिवार की सुबह करीब आठ बजे काभड़ भ्यौल की पहाड़ी दरकने लगी। देखते ही देखते पहाड़ टूटकर नीचे गिरने लगा। इस मंजर को लोगों ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया और कुछ ही देर में वह वायरल भी हो गया। इसके बाद प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। भारी मात्रा में मलबा आने से कपकोट, धरमघर जाने वाले वाहनों के पहिये जाम हो गए। इस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। लगातार हो रही बारिश से तीन मकान भी ध्वस्त हो गए हैं, हांलाकि अभी कहीं से भी किसी तरह की जनहानि की शिकायत नहीं है। जखेड़ा पेयजल योजना ध्वस्त होने से नगर में कठायबाड़ा समेत अन्य स्थानों पर पानी का संकट गहरा गया है। उधर भराड़ी के व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष शेर सिंह ऐठानी ने बताया कि शुक्रवार की शाम चार बजे से बिजली, पानी व बीएसएनएल की सेवा ठप है। ग्रामीण क्षेत्र बिजली गुल रहने से लोगों के मोबाइल शोपीस बन गए हैं।
ये मार्ग हो गए थे बंद

बैजनाथ- बागेश्वर, कमेड़ी-पाये, बागेश्वर-दफौट, कांडा-सानिउडियार, सिमकुना-बाजड़, बागेश्वर-गिरेछीना, भयूं-गडेरा, डंगोली-सैलानी, बिजौरीझाल-ओखलसेों, विजयपुर-भाड़गाड़, बागेश्वर-धरमघर, बिंतोली-कुंझाली, बागेश्वर-तेजम, सिमगड़ी, सीमखेत-मैगड़ीस्टेट, बालीघाट-खुल्दौड़ी, बिलौना-पगना, कपकोट-मुनस्यारी।
वर्जनः
जिले में बारिश से 18 सड़कें बंद हो गई थीं। इसमें बागेश्वर-कपकोट मार्ग समेत छह मार्ग खोल दिए हैं। तीन मकानों के आंशिक क्षतिग्रस्त हुए हैं। नगर में पानी का संकट गहराया है। कहीं से भी किसी तरह की जनहानि की सूचना नहीं है। _शिखा सुयाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी।

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