बागेश्वर। कोरोनाकाल के चलते असम से साईकिल से उत्तराखंड पहुंचे वायुसेना जवान का आज नगरपालिका में सम्मान किया गया। जवान ने 2100 किमी की यह दूरी लगभग 14 दिन में पूरी की। वैसे तो जवान पंकज महेता अल्मोड़ा के रहने वाले हैं,लेकिन उनका बचपन और कॉलेज का समय बागेश्वर में गुजरा है। उनके काफी दोस्त बागेश्वर के रहने वाले हैं।जो कि पंकज की इस उपलब्धि पर काफी उत्साहित नजर आये।
अल्मोड़ा जिले के महत गांव के पंकज महेता की तैनाती आजकल असम के तेजपुर क्षेत्र में है।वे एयरफोर्स में सार्जेंट के पद पर तैनात हैं। पंकज मेहता बताते हैं कि उन्हें साइकिलिंग का शौक बचपन से ही रहा है।
कोरोना के चलते उन्होंने सोचा कि साइकिल ही सबसे उपयुक्त संसाधन हो सकता है जिसमें सोशल डिस्टेंसिग के साथ यात्रा की जा सकती है साथ में बचपन का शौक भी पूरा किया जा सकता है। उन्होंने पहले अयोध्या तक का सफर करने का मन बनाया लेकिन अयोध्या पहुंचते ही फिर उन्हें लगा कि यहं तक पहुंचा जा सकता है तो अल्मोड़ा अपने घर भी आसानी से जाया जा सकता है,बस फिर उन्होंने अल्मोड़ा तक का 2100 किमी का सफर तय कर लिया । पंकज ने बताया कि इस यात्रा में उन्होंने लोगों को जागरुकता संदेश भी दिए,पहाड़ हिटो का पोस्टर लेकर वे आगे बढ़ते रहे।
रास्ते में कई उत्तराखंड वासियों ने उनसे इस बारे में पूछा तो उनके सवालों के गहनता से जवाब दिए । पंकज के चेहरे पर पलायन की पीड़ा को आसानी से महसूस किया जा सकता था। पंकज ने कहा कि पहाड़ के अधिकांश गांव आज वीरान हो गए है, यहां के अधिकांश लोग पलायन कर बड़े शहरों की ओर पहुंच रहे हैं। कोरोना ने लोगों को इस बात का अहसास करा दिया है कि पहाड़ में भी रोजगार की संभावनाये हैं। उनका इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को पहाड़ की ओर लौटने को प्रेरित करना था।वहीं पंकज ने बताया कि उन्हें रास्तें में छोटी—मोटी परेशानी तो आयी जैसे कि कभी साईकिल ने थोड़ा परेशान किया तो कभी गर्मी ने परेशान किया,वहीं रास्ते में मिलने वाले लोग काफी मददगार और हौसलाफजाई करने वाले थे।जिसे सफर काफी आसान रहा।वहीं नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने कहा कि पंकज जैसे युवा समाज के लिए एक प्रेरणा है।ऐसे युवा अगर पलायन के बारे में लोगों को जागरुक कर रहें है तो निश्चित ही पहाड़ से पलायन का दंश दूर होगा। इस मौके पर ईओ राजदेव जायसी,दीपक खेतवाल,विनोद पाठक और पंकज के कॉलेज के काफी सहपाठी मौजूद रहे।