निवेशकों का 40 लाख हड़पने के आरोप में 03 माह से जेल में बंद महिला हुई रिहा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा लमगड़ा में जनहित निधि लिमिटेड नामक कम्पनी का संचालन करके निवेशकों के लगभग 40 लाख रूपये को हड़पने के आरोप में मुरादाबाद…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

लमगड़ा में जनहित निधि लिमिटेड नामक कम्पनी का संचालन करके निवेशकों के लगभग 40 लाख रूपये को हड़पने के आरोप में मुरादाबाद की आरोपी महिला को जमानत पर रिहा हो गई है। ​महिला विगत 03 माह से जेल में बंद थी। न्यायायल सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा की अदालत ने यह फैसला दिया है। महिला की ओर से अधिवक्ता कृष्ण सिंह बिष्ट ने पैरवी की।

आरोपी महिला ममता यादव की ओर न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर लमगड़ा पुलिस के मुकदमा अपराध संख्या 15/2021 के तहत धारा 409,420 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 3 यूपीआईडी एक्ट में जमानत पर रिहा किए जाने की मांग की गई। ओरोपी द्वारा न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि वह निर्दोष है उसे झूठा फंसाया गया है। उसके खिलाफ लगाई गई धाराओं में उसने कोई अपराध नहीं किया है।

एफआईआर में अभियुक्त का नाम नहीं है। वह कथित कम्पनी में कुछ समय के लिए निदेशक रही उसके बाद 2017 में उसने कम्पनी के निदेशक के पद से ​इस्तीफा दे दिया था। उसकी लमगड़ा शाखा के संचालन में कोई भूमिका नहीं रही, क्योंकि न ही उसके द्वारा किसी प्रकार लेन—देन किया और न ही उसके द्वारा कोई चैक हस्ताक्षर किया। वह विगत 3 महीने से जेल में बंद है इस मामले में उसके विरूद्ध कोई भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं, जिससे उसके खिलाफ लगाई गई धाराओं में कोई मामला नहीं बनता है।
उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। उसे बिना किसी आधार के गिरफ्तार किया गया है।

अभियुक्ता महिला है और धारा-437 दं. प्र.सं. का लाभ प्राप्त करने की अधिकारी है। वह अभियुक्ता जमानत मिलने पर जमानत का दुरूपयोग नहीं करेगी ना ही किसी प्रकार के साक्ष्यों को प्रभावित करेगी।

अभियोजन द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए विवेचना अधिकारी की आपत्ति 6ख /1 लगायत 6ख/3 दर्ज की गई। जिसमें कहा गया कि विवेचना साक्ष्य संकलन के दौरान अभियुक्ता ममता यादव का नाम प्रकाश में आया है तथा साक्ष्यों के आधार पर उसके नाम की बढ़ोत्तरी मुकदमे में की गई है। अभियुक्ता “जनहित निधि लिमिटेड” की लगगड़ा शाखा में वर्ष 2015 से शुरूआती डायरेक्टर है तथा “जनहित निधि लिमिटेड” के खाते में अधिप्रमाणित हस्ताक्षर में भी अभियुक्ता का नाम है। अभियुक्ता जनहित निधि लिमिटेड में उसके प्रारम्भ वर्ष 2015 से ही डायरेक्टर के पद पर तैनात थी । अभियुक्ता द्वारा अन्य अभियुक्तगणों के साथ मिलकर आम जनता से ब्याज देने व लोन दिये जाने का लालच देकर धोखाधड़ी से पैसे जमा करवाये गये, पर जनता के पैसे वापस नहीं किये गये है। अभियुक्ता को जमानत पर रिहा किये जाने की दशा में वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर गवाहों को डरा धमकाकर दबाव बनाने की प्रबल संभावना है। अभियुक्ता द्वारा अन्य अभियुक्तगण के साथ मिलकर निवेशकों के लगभग 40 लाख रूपये धोखाधड़ी से हड़प लिये हैं, जिस कारण अभियुक्ता का जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाए।

आरोपी के अधिवक्ता कृष्ण सिंह बिष्ट की दलील कहा गया कि विवेचना में संकलित साक्ष्य के आधार पर पत्रावली में ऐसा कोई साक्ष्य वर्तमान अभियुक्ता के विरूद्ध उपलब्ध नहीं है, जिससे प्रथम दृष्टया यह दर्शित हो कि अभियुक्ता द्वारा कोई धनराशि निकाली गई हो। वर्ष 2017 में अभियुक्ता द्वारा कथित कम्पनी से त्यागपत्र दे दिया गया है तथा अभियुक्ता प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद नहीं है। मामला मजिस्ट्रैट न्यायालय द्वारा विचारणीय है। अभियुक्ता माह सितम्बर 2021 से जिला कारागार में निरूद्ध है और एक महिला है। अतः मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी ना करते हुये न्यायालय का यह मत है कि अभियुक्ता इस स्तर पर जमानत प्राप्त करने की अधिकारिणी है तथा उसका जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है। इस मामले में मलिक मजहर सुलतान की अदालत ने यह फैसला दिया कि अभियुक्ता को तीस हजार के एक स्व-बन्ध पत्र और इतने ही राशि के था समान राशि के दो प्रतिभू पत्र दाखिल करने पर सम्बन्धित मजिस्ट्रेट की सन्तुष्टि पर जमानत पर रिहा किया जाये। उल्लेखनीय है कि इस संपूर्ण मामले की अधिवक्ता कृष्णा सिंह बिष्ट और कमलेश कुमार ने पैरवी की।

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