देहरादून। भाजपा के द्वाराहाट विधायक महेश नेगी पर यौनाचार और उसकी बच्ची के पिता होने का आरोप लगा कर राजनीति को हिला देने वाली महिला बाल अधिकार संरक्षण आयोग की प्रारंभिक जांच में ही संदिग्ध दिखाई पड़ने लगी है। अब आयोग ने पुलिस को चिट्ठी लिखकर महिला पर झूठे तथ्य पेश करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है।
दरअसल महिला ने बाल संरक्षण आयोग के सामने बताया था कि दस मई 2020 को उसने शामली के सराकरी चिकित्सालय में बच्ची को जन्म दिया था। इसके बाद 27 मई को उसने बच्ची व अपने पति का डीएनए जांच के लिए भेजा जिसकी रिपोर्ट 4 जून को मिली। जो कि निगेटिव आई थी। लेकिन आल संरक्षण आयोग ने इस मामले की जांच करवाई तो जांच अधिकारी ने शामली के सरकारी चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि बच्ची का जन्म तो इस चिकित्सालय में हुआ लेकिन उसका व उसके कथित पिता का डीएनए लेने संबंधी कोई दस्तावेज चिकित्सालय में नहीं मिला। चिकित्साधिकारी ने जांच अधिकारी को यह भी बताया कि बिना अदालत के आदेश के वे किसी का भी डीएनए जांच के लिए नहीं भेज सकते।
जांच रिपोर्ट मिलने पर अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी के निर्देश पर आयोग के सचिव ने दून के एसएसपी को पत्र लिखकर महिला के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है।