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उत्तराखंड के जंगलों में आग, क्लाउड सीडिंग से होगी बारिश; पराली जलाने पर रोक

देहरादून | उत्तराखंड के जंगलों में बढ़ रही आग की घटनाओं को देखते हुए बड़ा फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर खेतों में फसल की कटाई के बाद पराली जलाने पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही शहरी क्षेत्र में भी कूड़े को वन या वनों के आसपास के क्षेत्र में नहीं जलाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को यह निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सभी डीएम को इसे लागू करने को कहा है। सभी जिलाधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि वह एक हफ्ते तक हर रोज जंगलों की आग की निगरानी करेंगे।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मीडिया को बताया, “जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं। सीएम ने एक दिन पहले बैठक की थी। उन निर्देशों के अनुपालन के लिए वन विभाग को सूचित कर दिया गया है। वन विभाग ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को हर जिले की जिम्मेदारी दे दी है। पौड़ी गढ़वाल जिले को आग से सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए डीएम पौड़ी ने वायुसेना से भी बात की है, IAF के हेलिकॉप्टर अब श्रीनगर से पानी ले जा रहे हैं और उन पर छिड़काव कर रहे हैं, हम एक नया प्रोजेक्ट भी ला रहे हैं – आईआईटी कानपुर ने एक प्रयोग किया है क्लाउड सीडिंग…हम अब उत्तराखंड में भी क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जंगलों की आग पर काबू पाया जा सके…हमने सीएम से बात की है, उन्होंने पौड़ी से एक पायलट प्रोजेक्ट के लिए सहमति जताई है। हमने आज शाम 4 बजे वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक रखी है। उन्होंने बताया, सीएम ने पराली न जलाने के निर्देश भी दिए हैं और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं शहरी इलाकों में कूड़ा जलाने वालों पर भी प्रतिबंध है।

इधर पौड़ी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि, ”एक 65 वर्षीय महिला की आग बुझाने की कोशिश के दौरान खेत में मौत हो गई। मेरा सभी लोगों से अनुरोध है कि अगर आसपास के जंगलों या खेतों में आग लगी है। तो उन्हें पहले वन विभाग को सूचित करना चाहिए।”

वहीं जंगल की आग का असर टिहरी जिले के पर्यावरण पर भी दिख रहा है। जंगलों से निकलने वाले धुएं ने शहर को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे दृश्यता भी कम हो गई है। धुएं का असर तापमान पर भी दिख रहा जिसके कारण नमी और तापमान बढ़ने लगा है। टिहरी वन प्रभाग के डीएफओ पुनीत तोमर ने बताया कि, “पिछले कुछ दिनों में तापमान में वृद्धि हुई है। मौसम शुष्क है… लोगों ने नागरिक क्षेत्रों में आग लगा दी थी, जो बाद में वन क्षेत्रों में फैल गई। कल, हमारी टीमों ने अधिकांश आग बुझा दी है, अब केवल दो ही आग सक्रिय हैं।

जंगलों की आग स्थानीय लोगों के लिए बन रही खतरा

दरअसल उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जो वन विभाग और सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। तापमान बढ़ने के साथ-साथ वनों में आग विकराल रूप लेती जा रही है। आग आबादी वाले क्षेत्र की ओर लगातार बढ़ रही है। जिससे लोगों को सांस लेने में भी परेशानी हो रही है। प्रदेशभर में आग की घटनाओं को रोकने के लिए 1438 फायर क्रूज स्टेशन बनाए गए हैं। जिसमें तकरीबन 4000 फायर वाचारों को तैनात किया गया है। इसके बावजूद भी जंगल धधक रहे हैं।

आग में झुलसने से एक स्थानीय महिला समेत चार की मौत

अब तक आग में झुलसने से तीन मजदूरों समेत एक स्थानीय महिला की मौत हो चुकी है। रविवार को पौड़ी जिले के थपली गांव में 65 वर्षीय सावित्री देवी घर के पास रखे घास के ढेर को जंगल की आग से बचाने के लिए वहां पहुंची। लेकिन महिला खुद आग बुझाते वक्त बुरी तरह झुलस गई। महिला को परिजन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए ऋषिकेश एम्स रेफर कर दिया। लेकिन देर रात महिला की मौत हो गई। आग में झुलसने से अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है।

आग से 1144 हेक्टेयर जंगल जला, 350 लोगों पर मुकदमा दर्ज

वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक प्रदेश भर में आग लगने की 910 घटनाएं सामने आ चुकी है। जिनमें 1144 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। इसमें कुमाऊं क्षेत्र में आग लगने की 482 घटनाएं हुई है, जबकि गढ़वाल क्षेत्र में 355 आग लगने की घटनाएं सामने आई है। इसके अलावा 73 घटनाएं वन्य जीव क्षेत्र की भी है। जंगलों में आग लगने की घटनाओं में अब तक 351 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है।

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