उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय का 20वां स्थापना दिवस समारोह सम्पन्न
सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) ने अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे कर एक नई उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय के 20वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में प्रदेश के भाषा, वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि यूओयू ने दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय ने अपना रेडियो एप विकसित कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जिससे विद्यार्थियों को शिक्षा के डिजिटल माध्यम से लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि यूओयू ने 20 वर्षों की यात्रा में दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और आगे भी यह प्रगति जारी रहेगी।

🌿 साहित्य और भाषा को बढ़ावा देने पर जोर
मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि भाषा और साहित्य समाज की आत्मा हैं। साहित्यकारों का सम्मान समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखता है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा साहित्यकारों के सम्मान की पहल इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
🏫 रोजगारपरक और कौशल आधारित नये कोर्स
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि विश्वविद्यालय आगामी सत्र से होमस्टे आधारित रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। साथ ही कौशल विकास के नए कोर्स भी शुरू किए जाएंगे, ताकि युवाओं के लिए रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकें। उन्होंने यह भी बताया कि यूओयू जल्द ही भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है — ऐसा करने वाला यह उत्तराखण्ड का पहला विश्वविद्यालय होगा।
प्रौद्योगिकी के साथ शिक्षा में नवाचार
विशिष्ट अतिथि प्रो. दुर्गेश पंत, महानिदेशक यूकॉस्ट देहरादून, ने कहा कि अब समय आ गया है कि विश्वविद्यालय एआई (Artificial Intelligence) टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षा को और प्रभावशाली बनाए। वहीं, निदेशक अकादमिक प्रो. पी.डी. पंत ने यूओयू की प्रगति पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में पूर्व निदेशक प्रो. जे.के. जोशी और प्रो. एच.पी. शुक्ला ने भी विश्वविद्यालय के विकास में अपने अनुभव साझा किए।
कुलसचिव डॉ. खेमराज भट्ट ने सभी अतिथियों का धन्यवाद दिया।
समारोह में पूर्व छात्र डॉ. दीप चन्द्रा, डॉ. विपिन चन्द्रा और डॉ. सुधीर पंत को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम संचालन डॉ. कुमार मंगलम ने किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुमाऊँनी और गढ़वाली भाषा पर चर्चा
उत्तराखण्ड भाषा संस्थान, देहरादून और केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन “कुमाऊँनी भाषा” पर एक विचारोत्तेजक तकनीकी सत्र आयोजित हुआ।
कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने विश्वविद्यालय स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि यूओयू न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि यह भाषा, संस्कृति और समाज के समन्वय का भी प्रतीक है।
कुमाऊँनी भाषा की समृद्ध परंपरा पर मंथन
सत्र में डॉ. चंद्रकांत तिवारी ने कहा कि हिमालय की गोद में बसने वाला कुमाऊँ अपनी भाषा से गहराई से जुड़ा है। उन्होंने पलायन को भाषा संरक्षण की प्रमुख चुनौती बताया।
‘पहरू पत्रिका’ के संपादक डॉ. हयात सिंह रावत ने कहा कि कुमाऊँनी भाषा हिंदी से भी अधिक प्राचीन और समृद्ध है। उन्होंने इसे प्राथमिक शिक्षा में शामिल करने और रोजगार उन्मुख बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रो. ममता पंत ने कहा कि कुमाऊँनी भाषा सामाजिक एकता और सांस्कृतिक पहचान की वाहक है, जबकि प्रो. प्रीति आर्या ने कहा कि भाषा हमारी पहचान है, इसे हीन भावना से नहीं, गर्व से अपनाना चाहिए।
अध्यक्षता कर रही प्रो. उमा भट्ट ने कहा कि वैश्वीकरण और शहरीकरण भाषाओं के अस्तित्व के लिए चुनौती हैं, इसलिए लोकभाषाओं का संरक्षण अनिवार्य है।
🏔️ गढ़वाली भाषा पर दूसरा तकनीकी सत्र
संगोष्ठी का दूसरा सत्र गढ़वाली भाषा पर केंद्रित रहा।
इस दौरान “कुमाऊनी साहित्य में नागपंथ का प्रभाव, क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण, आधुनिकता में भाषा का स्वरूप” आदि विषयों पर शोधपत्र वाचन हुआ।
मुख्य अतिथि गणेश खुगशाल ‘गणि’ ने कहा कि साहित्य क्षेत्रीय भाषाओं की जीवंतता बनाए रखने का सबसे सशक्त माध्यम है।
अध्यक्ष प्रो. देव सिंह पोखरिया ने कहा कि उत्तराखण्ड का भाषाई वैभव उसकी सांस्कृतिक पहचान की जड़ है, और इसके संरक्षण के लिए अकादमिक जगत, समाज और शासन को संयुक्त प्रयास करने होंगे।
🏁 समापन
कार्यक्रम में वित्त नियंत्रक एस.पी. सिंह, विश्वविद्यालय के सभी निदेशक, शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
दो दिवसीय स्थापना दिवस कार्यक्रम और राष्ट्रीय संगोष्ठी ने यह संदेश दिया कि उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है, बल्कि भाषा, संस्कृति और तकनीकी नवाचार का संगम भी है।
