Big News : कोरोना की दूसरी लहर में बर्बाद हुआ उत्तराखंड परिवहन निगम, जाम हैं सैंकड़ों रोडवेज बसों के पहिये, यूनियन ने प्रदेश सरकार से मांगे 500 करोड़

कोरोना की दूसरी लहर ने और इसके बाद अधिकतर राज्यों द्वारा अंतरराज्यीय बस सेवाओं पर लगाई रोक के बाद रोडवेज के पहिये जाम होने से…

कोरोना की दूसरी लहर ने और इसके बाद अधिकतर राज्यों द्वारा अंतरराज्यीय बस सेवाओं पर लगाई रोक के बाद रोडवेज के पहिये जाम होने से परिवहन निगम बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है। हालत यह है कि निगपर पर लगभग 300 करोड़ की देनदारियां हैं। कर्मचारियों को तो दिसंबर के बाद से तनख्वाह तक नही मिल पाई है। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने प्रदेश सरकार से तत्काल 500 करोड़ रूपये के राहत पैकेज की मांग की है।

ज्ञात रहे कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों द्वारा प्रवेश पर लगाई गई पाबंदी के बाद अब प्रदेश के भीतर ही बसों का संचालन किया जा रहा है। निगम ने केवल चंडीगढ़ के लिए ही बस सेवा सुचारु रखी थी। अब वह भी बंद की जा रही है।

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निगम प्रबंधन के मुताबिक, अब केवल प्रदेश के भीतर ही यात्रियों की उपलब्धता के आधार पर बसों का संचालन किया जाएगा। परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन एवं तकनीकी दीपक जैन ने बताया कि फिलहाल प्रदेश के जिस जिले के लिए यात्री होंगे, केवल वहीं की बसें चलेंगी।

वहीं जहां निगम की बसों का संचालन ठप है, लेकिन खर्च देनदारियों का का मीटर बहुत तेज गति से दौड़ रहा है। अब तक निगम करीब 300 करोड़ रुपये की देनदारियों के बोझ में दब चुका है।

ज्ञात रहे कि उत्तराखंड परिवहन निगम से करीब सात हजार कर्मचारियों का परिवार जुड़ा है। निगम द्वारा हर माह करीब 25 करोड़ रुपये वेतन, किराया, डीजल आदि सभी खर्च किया जाता है। लॉकडाउन अवधि में भारी नुकसान होने के बाद इस बार कोरोना कर्फ्यू ने निगम की आय चौपट कर दी है।

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बताया जा रहा है कि मार्च 2020 से अब तक निगम करीब 300 करोड़ की देनदारियों के बोझ में दब चुका है। यहां तक कि जो कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, उन्हें पैसा नहीं दिया जा रहा है। जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें आखिरी वेतन दिसंबर का मिला था। चार महीने से वेतन नहीं मिला है। निगम ने जो 300 बसें टाटा और अशोक लिलैंड कंपनी से खरीदीं थीं, उनका कर्ज भी नहीं चुका पा रहा है।

मिली जानकारी के मुताबिक जब अनलॉक शुरू हुआ तो बसों का भी दोबारा संचालन हुआ था, उससे बमुश्किल कुछ डीजल जैसे खर्च पूरे हो पाए थे। इसके बाद सरकार से जो भी पैसा बतौर प्रतिपूर्ति मिला है, उससे भी निगम कुछ वेतन दे पाया था। अब निगम की कमाई का जैसे कोई साधन ही नही रह गया है।

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निगम के महाप्रबंधक संचालन एवं तकनीकी दीपक जैन ने कहा कि वह अब दोबारा अनलॉक के इंतजार में हैं। तभी कुछ सम्भावना बन पायेगी।

इधर उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि बिन सरकारी मदद अब कुछ नही होने वाला है। उन्होंने मांग की कि प्रदेश सरकार कम से कम 500 करोड़ रुपये का राहत पैकेज निगम को दे। इसके एवज में सरकार निगम की अनुपयोगी जमीनों को अधिकृत कर सकती है।

देखना यह है कि आने वाले दिनों में प्रदेश सरकार निगम की इस गम्भीर समस्या के निस्तारण के लिए क्या कदम उठाती है?

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