HomeUttarakhandAlmoraAlmora Breaking: अलग—अलग मामलों के दो आरोपियों को नहीं मिली जमानत

Almora Breaking: अलग—अलग मामलों के दो आरोपियों को नहीं मिली जमानत

— एक मामला हत्या, तो दूसरा छेड़खानी का

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
अल्मोड़ा के अपर सत्र न्यायाधीश अरविंद नाथ त्रिपाठी की अदालत ने आज अलग—अलग मामलों में दो आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। इनमें एक मामला हत्या, तो दूसरा छेड़खानी का है।

मामला—1: हत्या के एक मामले में अपर सत्र न्यायाधीश अरविंद नाथ त्रिपाठी की अदालत ने एक आरोपी की जमानत खारिज कर दी। हत्यारोपी नरेन्द्र सिंह पुत्र हीरा सिंह, निवासी ग्राम नौगांव, तहसील रानीखेत, जिला अल्मोड़ा ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपनी जमानत के लिए अदालत में अर्जी प्रस्तुत की। उसके खिलाफ धारा 302, 364, 323, 504, 506, 342, 201/34 ता.हि. एवं धारा-3(2)(5) एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है। मामला जगदीश चंद्र हत्याकांड का है।

अर्जी पर सुनवाई के वक्त जिला शासकीय अधिक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा ने हत्या के घटनाक्रम का उल्लेख किया और न्यायालय को बताया कि आरोपी नरेन्द्र सिंह ने जगदीश चन्द्र के साथ मारपीट कर उसकी हत्या कारित की है, जो एक गम्भीर अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि यदि अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह अभियोजन पक्ष के गवाहों को डरा धमकाकर अपने पक्ष में गवाही करा सकता है। अपर सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा अरविन्द नाथ त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इसके बाद आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
मामला—2: छेड़खानी के मामले में धारा 354, 354ए, 376 ता.हि. के तहत आरोपी गोपाल चंद्र तिवारी उर्फ पप्पू पुत्र गिरीश चंद्र तिवारी, निवासी लक्ष्मी निवास, पूर्वी पोखरखाली अल्मोड़ा ने अपर सत्र न्यायाधीश अरविन्द नाथ त्रिपाठी की अदालत में अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।

इस पर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा ने न्यायालय बताया कि वादिनी/पीड़िता ने महिला थाना अल्मोड़ा में लिखित तहरीर 08 सितंबर, 2022 को दी है। उन्होंने पूरे घटनाक्रम का उल्लेख अदालत में किया। विवेचना उपरांत आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेजा गया। उन्होंने बताया कि आरोपी द्वारा कारित अपराध अत्यन्त गम्भीर अपराध की श्रेणी में आता है और यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह पीड़िता/वादिनी को डरा धमकाकर साक्ष्यों से छेड़खानी कर सकता है और दुबारा अपराध कारित कर सकता है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत के लिए लगाए गए प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की और उसे खारिज कर दिया।

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