✒️ शरीर से मिले सेही के कांटे और बंदूक के छर्रे
✒️ सीआरटी निदेशक ने दिए मामले की जांच के आदेश
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
Porcupine killed tiger : अल्मोड़ा के मौलेखाल ब्लॉक के मरचूला में हुई बाघिन की मौत को लेकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ने घटना के जांच के आदेश दिए हैं। जिसका कारण यह है कि पोस्टमार्टम में बाघिन के शरीर से वन्य जीव सेही (Porcupine) के कांटों के अलावा बंदूक के छर्रे भी बरामद हुए हैं। अनुमान है कि सेही के कांटे पहले लगे होंगे, जिसके बाद बंदूक के छर्रे भी लग गये। बाघिन की उम्र 11 से 12 वर्ष के बीच रही होगी। बाघिन आबादी क्षेत्र में कैसे पहुंची इसकी जांच की जा रही है।
ज्ञात रहे कि सोमवार रात मरचूला के बाजार में करीब 09 से 09.30 बजे एक बाघिन घायल अवस्था में दाखिल हुई। जिसे देखकर अफरा-तफरी का माहौल हो गया। इस बीच किसी ने वन विभाग को सूचित किया। जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। बाघिन को बाजार से भगाने के लिए वन कर्मी प्रयासरत थे, लेकिन इसी बीच बाघिन की मौत हो गई।
पहले दावा किया जा रहा था कि बाघिन की मौत किसी वन्य जीव के साथ संघर्ष के कारण हुई है, लेकिन इस दौरान एक वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ। जिसमें एक वन कर्मी बाघिन की ओर बंदूक ताने भी दिख रहा है। जिसके बाद घटना लो लेकर थ्योरी कुछ बदल गई। अब माना जा रहा है कि सेही से हुआ संघर्ष भले ही मौत की मुख्य वजह रही, लेकिन इस संरक्षित प्रजाति के जीव बाघ को बंदूक की गोली का छर्रा भी लगा था। जो अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
बाघिन की मौत के बाद कार्बेट कालागढ़ टाइगर रिजर्व पार्क के मंदाल रेंज के कर्मचारियों ने शव को रामनगर ढेला रेस्क्यू सेंटर पहुंचा दिया था। मंगलवार को पोस्टमार्टम करने के बाद बाघिन के शव को नष्ट कर दिया गया। जांच में यह तथ्य सामने आया कि बाघिन काफी बूढ़ी और कमजोर थी। उसकी अनुमानित आयु 11 से 12 साल आंकी गई। पोस्टमार्टम के दौरान बाघिन के शरीर से छर्रे और सेही के कांटे दोनों बरामद हुए। जिससे यह साफ हो गया कि पहले बाघिन का जंगल में सेही से संघर्ष हुआ होगा, जिस दौरान उसके शरीर में ढेरों कांटे घुस गये। घायल अवस्था में यह कमजोर बाघिन जंगल से बाजार क्षेत्र पहुंची। यहां पर वन कर्मियों द्वारा की गई फायर के दौरान उसे छर्रे भी लगे और बाघिन की मौत हो गई।
पूरे मामले की होगी जांच
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. धीरज पांडेय ने कहा कि मरचूला बाजार में पहुंची बाघिन ग्रामीणों पर हमले का प्रयास कर रही थी। वन कर्मियों ने हवाई फायर किए, जिसमें बाघिन को भी एक छर्रा लग गया और उसकी मौत हो गई। इस पूरे प्रकरण में जांच के निर्देश दिए गए हैं। पोस्टमार्टम खत्म् होने के बाद शव को नष्ट कर दिया गया है
जानिये कौन है 30 हजार कांटों से लैस वन्य जीव साही
Indian Crested Porcupine : यह घातक कांटेदार वन्य जीव ‘साही’ या ‘सेही’ नाम से जाना जाता है।
✒️ वास्तव में इस जीव के शरीर के ऊपरी कांटें इसके सबसे घातक हथियार होते हैं, जिनकी मदद से यह अपने दुश्मनों से मुकाबला करता है।
✒️ यह एक निशाचर जीव है जो अकसर दिन भर अपने बिल पर रहता है, लेकिन अंधेरा होने पर सब्जी, पौधे और फसलों को खाने के लिए बाहर निकल पड़ता है।
✒️ यह जंगली सूअर की तरह आवाज भी निकालता है, जिस कारण अन्य वन्य जीव इसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं।
✒️ इसके पास 30 हजार से भी ज्यादा कांटे होते हैं और पुराने कांटे झड़ने के बाद कई बार फिर से नए कांटे उग आते हैं।
✒️ साही बिना कारण हमला नहीं करता है, केवल खतरा महसूस होने पर आक्रमक हो जाता है। इसके घातक कांटे दुश्मन की जान भी ले सकते हैं।
✒️ यह औसतन 07 से 18 सालों तक जीवित रह सकता है।
✒️ विश्व में इसकी एक दर्जन से अधिक प्रजातियां मिलती हैं।
✒️ साही का औसतन वजन 25 से 35 किग्रा तक होता है, लेकिन कुछ प्रजातियों का वजन महज 2 से 4 किलो ही होता है।
✒️ इसका गर्भकाल 210 दिनों तक का होता है और यह एक बार में एक ही संतान को जन्म देते हैं।
✒️ हिमालयी वन्य क्षेत्रों में भी यह बड़ी संख्या में देखे जाते हैं और 2400 मीटर तक ऊंचाई पर जीवित रहने में सक्षम हैं।
✒️ पुरानी मान्यता के अनुसार इसका कांटा घर में रखना अशुभ होता है। इससे गृह कलेष होता है। कुछ तांत्रिक इसके कांटों को अपने पास रखते हैं।