CNE DESK/कभी—कभार पुलिस के पास कुछ ऐसे मामले आ जाते हैं, जिनको समझने और सुलझाने में जांच टीम के भी हाथ—पांव फूल जाया करते हैं। ऐसा ही वाक्या गत दिनों हुआ, जब एक आनलाइन एफआईआर कंपनी के तकनीशियन की ओर से दर्ज कराई गई। जो कि मोबाइल टावर चोरी होने को लेकर थी। इस घटना ने पुलिस को भी हैरान कर दिया कि आखिर पूरा मोबाइल टावर कैसे चोरी हो सकता है! जांच हुई तो हैरान करने वाला खुलासा हुआ।
08 माह बाद क्यों दर्ज कराई एफआईआर !
यह मामला प्रयागराज के कौशांबी का है। पुलिस के पास एक एफआईआर 50 मीटर के मोबाइल टॉवर की चोरी की दर्ज कराई गई थी। अब इस मामले का पुलिस ने खुलासा किया है। पुलिस का कहना है कि यह टॉवर चोरी नहीं हुआ, बल्कि काफी समय पहले हटा लिया गया था। टॉवर कंपनी और अथॉरिटी के बीच करार खत्म होने पर यह फैसला सहमति से लिया गया था। इसके बावजूद कंपनी के तकनीशियन राजेश कुमार यादव ने पूरे 08 माह बाद टॉवर चोरी की एफआईआर दर्ज करा दी। अब वह खुद गायब है।
पुलिस के अनुसार फिलहाल यह जानना बाकि है कि संबंधित कंपनी के तकनीशियन ने टॉवर के चारी होने की शिकायत थाने में क्या सोचकर दर्ज कराई है ?
ज्ञातव्य हो कि यूपी के कौशांबी में पुलिस को 50 मीटर ऊंचे मोबाइल टावर की चोरी को लेकर एक प्राइवेट फर्म के तकनीशियन से ऑनलाइन एफआईआर मिली थी। पुलिस के सामने यह समस्या आ गई कि वह उस टॉवर को कैसे ढूंढे, जो कभी चोरी ही नहीं हुआ।
एसएसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने कही यह बात
इधर इस मामले में कौशाम्बी के पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि मौजूदा साल के जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में ही करार पूरा होने पर कंपनी ने अपना पूरा सेट-अप हटा लिया था। इस मामले के तमाम साक्ष्य पुलिस के पास उपलब्ध हैं।
अलबत्ता इतना कहा जा सकता है कि यह तो पुलिस साबित कर चुकी है कि एफआईआर झूठी दर्ज कराई गई। इसके बावजूद इस रहस्य का अब तक खुलासा नहीं हो पाया है कि कंपनी के तकनीशियन राजेश कुमार यादव ने यह सब क्यों किया ?
ऑनलाइन शिकायत में तकनीशियन ने कहा था कि जब वह 31 मार्च, 2023 को जांच को पहुंचे तो पूरा का पूरा टॉवर ही गायब हो गया था। फिलहाल पुलिस एफआईआर दर्ज कराने वाले तकनीशियन की तलाश कर रही है, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं।