अल्मोड़ा : आंखे पथरा गई साहेबान से मदद के इंतजार में, फिर लॉकडाउन में घर लौटे युवाओं ने खुद ही बना दी डेढ़ किमी सड़क, अतिवृष्टि के नुकसान में भी झांकने नही आया कोई सरकारी नुमाइंदा….

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा विकासखंड धौलादेवी का काना महर गांव शासन-प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता का शिकार बना हुआ है। गांव के विकास के लिए…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

विकासखंड धौलादेवी का काना महर गांव शासन-प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता का शिकार बना हुआ है। गांव के विकास के लिए कोई योजना बनाना तो दूर शासन व संबंधित विभाग द्वारा यहां एक अदद ग्रामीण सड़क मार्ग तक का निर्माण ​नही किया गया है।

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इन विपरीत परिस्थितियों में भी लॉकडाउन में गांव आये युवाओं ने अपने श्रम से न केवल सड़क मार्ग का निर्माण कर दिया, बल्कि अतिवृष्टि में टूट चुकी सड़क से मलबा हटा दोबारा मार्ग सुचारू कर दिया है।

इस गांव की कहानी यह है कि सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने आने वाले जन प्रतिनिधियों ने भी चुनाव जीतने के बाद कभी यहां का रूख नही किया। लिहाजा हर ओर से निराशा हाथ लगने पर ग्रामीणों ने स्वयं श्रमदान करके यहां डेढ़ किमी सड़क मार्ग का निर्माण किया, लेकिन विगत दिनों हुई अतिवृष्टि में उनकी इस मेहनत पर पानी फिर गया।

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दुर्भाग्य से लगातार तीन दिन तक हुई बारिश ने युवाओं की मेहनत बेकार कर दी। हालत यह हो गई कि युवाओं के श्रम से बना यह रास्ता भी तमाम जगह से टूट गया। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि संबंधित विभाग और जन प्रतिनिधियों ने भले ही उन्हें सड़क मार्ग से वंचित रखा, लेकिन अब मलबा तो कम से कम हटवा ही देंगे, लेकिन यह भी नही हुआ।

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तो फिर हिम्मत हारने के बजाए दोबारा ग्रामीण एकमत हुए और युवाओं ने पूरी ताकत लगा फिर से यह मलबा भी साफ कर दिया है।

बावजूद इसके एक अनुत्तरित प्रश्न यही है कि गांवों के विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार और उसके नुमांइदें आंखिर कहां सोए हैं ?

क्या विकास कार्य यहां कुछ धरातल पर होते हैं या सिर्फ सरकारी फाइलों की शोभा बढ़ाने भर तक सीमित हैं। इस गम्भीर प्रश्न पर निश्चित रूप से प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन, संबंधित विभाग और जन प्रतिनिधियों को विचार करना चाहिए।

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