👉 निरंकारी संत समागम में बोली आध्यात्मिक प्रमुख
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: आध्यामिक प्रमुख सतगुरु माता सुदीक्षा ने कहा कि जीवन को सुकून से भरा बनना है। इसके लिए गुरु ही मार्गदर्शन कर सकते हैं। प्रेम से समर्पित होकर परमात्मा का ध्यान करना है। आत्मा का असली रूप ही परमात्मा है। अहंकार को त्यागना होगा। जीवन में उलझने काफी हैं। परिस्थितियां बदलते रहती हैं। अपने आप को स्थिर रखना होगा।
बुधवार को नुमाइशखेत मैदान पर आयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान उन्होंने विश्व बन्धुत्व का दिव्य संदेश दिया। समागम को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में तमाम उलझने हैं। संसार मायावी है। ध्यान प्रभु परमात्मा में लगाना है। इच्छाएं अनंत होती हैं। उस पर ध्यान नहीं देना है। जितना अपने पास है उसी में सुकून से रहना है। परमात्मा की इच्छा से ही सबकुछ मिलता है। हम सभी परमात्मा की संतान हैं। हर जगह की अपनी-अपनी संस्कृति है। एक दूसरे से नफरत नहीं करनी है। सबसे प्रेम करना है। एक दूसरे से अपनी आदतों से अलग नहीं होना चाहिए। सबसे अंतर एक नूर है। चाहे वह नारी हो या पुरुष। सोचने का नजरिया अलग-अलग हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पावन संत समागमों का लक्ष्य संपूर्ण विश्व में शांति की भावना और मानवीय गुणों का प्रसार करने का संदेश देना है। मिशन की केवल यही धारणा रही है कि हम सभी प्रेम एवं मिलवर्तन के भावों से युक्त होकर जीवन जीएं और समूचे संसार में एकत्व का सुंदर रूप स्थापित करें। संत निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागृति के साथ साथ समाज कल्याण की गतिविधियों में भी सदैव ही सम्मिलित रहा है। इस दौरान निरंकारी राजपिता रमित, जोनल इंचार्ज पीएस चौधरी, कुंवर राम, हरीश नेगी आदि उपस्थित थे। इससे पूर्व सेवादार और भक्तों ने पावन संत समागम में पहुंचने पर राजमाता सुदीक्षा का भव्य स्वागत किया। कुमाऊंनी भाषा में भजन प्रस्तुत किए। स्थानीय लोगों ने भी सत्संग का भरपूर आनंद उठाया।