अल्मोड़ा : अनूठी ‘दादा—दादी’ काव्य गोष्ठी ने खड़े किए सोचनीय सवाल, रचनाओं के जरिये उजागर हुई बुजुर्गों की पीड़ा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाबाल पत्रिका ‘बालप्रहरी’ तथा बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा ने संयुक्त रूप से श्राद्ध पक्ष के मौके पर आनलाइन अनूठी काव्य सम्मेलन आयोजित किया।…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
बाल पत्रिका ‘बालप्रहरी’ तथा बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा ने संयुक्त रूप से श्राद्ध पक्ष के मौके पर आनलाइन अनूठी काव्य सम्मेलन आयोजित किया। जिसे नाम दिया गया— दादा-दादी काव्य गोष्ठी। जिसमें कवियों ने प्रेरक व सोचनीय रचनाओं से आज घरों में बुजुर्गों की उपेक्षा के हालातों को बखूबी उजागर किया और तंज कसे। वहीं कहा कि दादा—दादी से दूरी बनने के कारण आज बच्चे दादा—दादी के प्राकृतिक प्यार से वंचित हो रहे हैं।
इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए चंपावत के डॉ. विष्णु शास्त्री ‘सरस’ ने कहा कि दादा-दादी सारे बच्चों को प्यारे होते हैं, लेकिन संयुक्त परिवारों के विघटन ने अब दादा-दादी और नाना-नानी से बच्चों की दूरी बना दी है। जिस कारण बच्चों को इनका प्राकृतिक प्यार नहीं मिल रहा है। मुख्य अतिथि बाल साहित्य संस्थान दरभंगा (बिहार) के निदेशक डॉ. सतीश भगत ने अपनी इस कविता से मौजूदा हालातों का बयां किया—
‘दादा हम शर्मिंदा हैं,
आप अनाथालय में हैं।
मिलना चाहूं आपसे,
पर घर में सब संशय में हैं।’

बुजुर्गों की उपेक्षा पर अपनी कविता से जयपुर के नीतेश सोनी ने ये सोचनीय बात प्रस्तुत की—
‘आज सुनाते हैं हम दादा की कहानी,
चार बेटे हैं जिनके, वे खुद भरें पानी’।

अल्मोड़ा के डॉ. धाराबल्लभ पांडे ने कविता पढ़ी—
‘खेद है देख न पाया तुम्हें कभी,
आप तो थे पर मैं न कहीं था।

ऐसे ही कवि कवियों ने काव्य गोष्ठी में अपनी सुंदर रचनाएं प्रस्तुत करते हुए कविताओं के जरिये दादा—दादी व नाना—नानी जैसे बुजुर्गों की उपेक्षा को उजागर किया। कुछ कवियों ने मौजूदा हालातों पर अपनी रचनाओं से तंज कसा। कुल मिलाकर आज घरों में बुजुर्गों की उपेक्षा व अनसुनी का बखूबी उजागर करने में कवि सम्मेलन सफल रहा। साथ ही इन हालातों पर सवाल खड़े कर सोचनीय पहलू सामने रखा। काव्य गोष्ठी में सुशील सरित (आगरा), नरेंद्र बहुगुणा (जोशीमठ), डॉ. दिनेश प्रसाद साह (दरभंगा), ओम प्रकाश शिव (नागपुर), सत्यानंद बडौनी (देहरादून), हंसा बिष्ट (खुर्पाताल), विजयपाल सेहलंगिया (महेंद्रगढ़), प्रज्ञा गुप्ता (बांसवाड़ा), कैलाश त्रिपाठी (औरैया), पुष्पा जोशी (शक्तिफार्म), डॉ. दलजीत कौर(चंडीगढ़), सुशीला शर्मा (जयपुर), रूबी शर्मा (रायबरेली), दुर्गा सिंह झाला (जोधपुर), डॉ. पूनम गुप्त (पटियाला), कृपाल सिंह शीला (बासोट), डॉ. महेंद्र प्रताप पांडे (खटीमा), प्रमोद कांडपाल (द्वाराहाट), नरेश सोराड़ी (नानकमत्ता) समेत कुल 24 कवियों ने हिस्सा लिया। संचालन राइंका हवालबाग के संस्कृत प्रवक्ता मोती प्रसाद साहू ने किया। इससे पूर्व बाल साहित्य संस्थान के सचिव एवं बालप्रहरी संपादक उदय किरौला ने सभी का स्वागत किया। इस मौके पर डॉ शैलेंद्र धपोला, संजय प्रजापति, डॉ. सारिका काला, गीता जोशी, प्रभा उनियाल, नीतू डिमरी, हर्षिता पुजारी, बलवंतसिंह नेगी, भव्यांशी, गीता कन्नौजिया, डॉ. महेंद्र सिंह राणा आदि ने आनलाइन शिरकत की।

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