— वाहिनी की बैठक, गिर्दा व डंगवाल के मरणोपरांत सम्मान का स्वागत
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
उत्तराखण्ड लोकवाहिनी की एडवोकेट जगत रौतेला की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित हुई। जिसमें जनकवि गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ एवं वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र डंगवाल को श्रद्धान्जलि अर्पित की गई। उन्हें मरणोपरांत उत्तराखण्ड़ गौरव सम्मान से सम्मानित किये जाने का स्वागत किया गया। वाहिनी नेताओं ने कहा कि राज्य का समग्र विकास ही गिर्दा का सम्मान है।
वाहिनी ने कहा कि गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ ने अपने जनगीतों में जिन मुद्दों को उभारा है, सरकार को उन पर ध्यान देना चाहिए। जिनमें उत्तराखंड की राजधानी, मुजफ्फरनगर काण्ड, भू कानून व वन अधिनियम से उत्पन्न जटिलताओं का समाधान, नदियों पर राज्य का अधिकार आदि प्रमुख मुद्दे हैं। इन मुद्दों का समाधान ही गिर्दा जैसे जनकवियों का सम्मान है। उलोवा प्रवक्ता दयाकृष्ण काण्ड़पाल ने वर्तमान में फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी व देश के प्रमुख नौकरशाह अजीत डोबाल से अपेक्षा की कि वे पहाड़ के हित में कदम उठाने के लिए सरकार को प्रेरित करेंगे, ताकि उत्तराखण्ड और अधिक गौरवान्वित हो सके।
बैठक में अजय मित्र बिष्ट ने कहा है कि राज्य आन्दोलन में अपनी पत्रकारिता से आन्दोलन को धार देने वाले वरिष्ट पत्रकार व लेखक विरेन्द्र डंगवाल का सम्मान स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि राज्य आन्दोलन में अपनी लेखनी से आन्दोलन को मजबूती प्रदान करने वाले पत्रकार आज भी उपेक्षित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक घण्टे जेल में रहे लोगों को आन्दोलनकारी घोषित कर दिया, लेकिन आन्दोलन को लेखनी से धार देने वाले पत्रकार मुफलिसी में जी रहे हैं। उन्होंने मांग की कि आन्दोलन में पत्रकारों की भूमिका रेखांकित होनी चाहिए। उलोवा महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि उत्तराखण्ड़ में गिरीश तिवारी गिर्दा के ‘कसि होली विकास नीति कसि होली व्यवस्था वाला गीत आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि राज्य का समग्र विकास ही गिर्दा का सम्मान है।