उत्तराखंड, ख़बर जरा हट के : सामाजिक दूरी की है हिदायत, आत्मीय दूरी नही ! सामने आ रहा कोरोना काल का सबसे घिनौना सच, अपने सगे संबंधियों को अस्पताल छोड़ लौट कर नही आ रहे कई परिजन

सीएनई रिपोर्टर
कोरोना संक्रमण के इस दौर में सरकार, प्रशासन व स्वास्थ्य महकमा लगातार सामाजिक दूरी की हिदायत दे रहा है, लेकिन देखने में आ रहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग के बहाने ‘पारिवारिक दूरी’, ‘आत्मीय दूरी’, ‘भावात्मक दूरी’ जैसी जीचें भी सामने आने लगी हैं।
हालात ऐसे हो चुके हैं कि सामान्य मौतों से मरने वालों को भी कोई देखने नही आ रहा। अर्थि को उठाने के लिए कंधे भी नही मिल पा रहे। इससे भी शर्मनाक मामले यह आ रहे हैं कि अस्पतालों में लोग अपने परिवारजनों को छोड़ गायब ही हो जा रहे हैं। इसके बाद मरीज की देखभाल केवल अस्पताल का स्टॉफ ही कर रहा है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ऐसे ही मामले देखने में आये हैं।
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कोरोनाकाल में कई कोरोना संक्रमितों को अपने ही दर्द दे रहे हैं। वे उनको अस्पताल में भर्ती कराने के बाद दोबारा हाल जानने के लिए भी नहीं पहुंच रहे हैं। दून अस्पताल में ऐसे मामले सामने आए हैं। कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनों से भी ऐसी परिस्थिति में मुंह मोड़ रहे हैं। स्थिति ये है कि कुछ लोग अपने परिजनों को सरकारी अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड तक लाने के बाद छोड़कर चले जा रहे हैं।
बाद में अस्पताल द्वारा ऐसे लोगों का उपचार किया जा रहा है। मरीज के बताये मोबाइल नंबर पर संपर्क करने पर परिजनों से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है।
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दून अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिनौती रॉय नामक एक व्यक्ति, जो देहरादून में नौकरी करते थे। कुछ दिन पहले इनकी तबीयत खराब हुई तो परिजनों ने किसी की मदद से इन्हें दून अस्पताल में भर्ती करवाया। इसके बाद से किसी ने इनके बारे में जानने की कोशिश नहीं की। कुछ दिन बाद इनकी मौत हो गई। परिजनों को बताने के बावजूद शव लेने भी कोई नहीं आया।
वहीं एक अन्य मामले में अस्पताल में ऑपरेशन के लिए आया मरीज संक्रमित निकला था। उसके परिजनों का पता नहीं चल पा रहा है। कुछ अन्य मरीज भी ऐसे हैं, जिनके परिजन नहीं आ पा रहे हैं। उनकी देखभाल अस्पताल कर्मचारियों द्वारा की जा रही है।
वहीं एक अन्य मामले में एक लड्डू सरकार नाम का व्यक्ति भती है। इनका उपचार लावारिस में चल रहा है। जानकारी के अनुसार शुरू के समय में एक दो-दिन लड्डू के हालचाल जानने के लिए एक व्यक्ति आता था। जो अब ना आता है ना ही कर्मचारियों को इस संबंध में फोन किया।
यही सब उत्तराखंड के विभिन्न अस्पतालों से सुनने को मिल रहा है। बहुत से अस्पतालों में मरीजों को देखने आना तो दूर परिजन फोन पर भी उसका हाल—चाल नही पूछ रहे हैं। कुल मिलाकर कोरोना काल ने मानवीय रिश्तों की सच्चाई भी दुनिया के सामने रखनी शुरू कर दी है।