श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) | भारत की अंतरिक्ष यात्रा में शनिवार को एक और गौरवांवित कर देने वाली उपलब्धि उस समय जुड़ गयी जब देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 का यहां शार रेंज से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
23 घंटे 40 मिनट की सुचारू उलटी गिनती के बाद, इसरो के विश्वसनीय प्रक्षेपण यान 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी-सी 57 ने अपने 59वें मिशन में, आदित्य-एल1 को लेकर एसडीएससी केंद्र से 11:50 बजे दूसरे लॉन्च पैड से शानदार उड़ान भरी।
पीएसएलवी ने न केवल सफल उड़ान भरी बल्कि एक घंटे से कुछ अधिक समय के बाद 1475 किलोग्राम वजनी उपग्रह को इच्छित कक्षा में स्थापित भी कर दिया। यह उपग्रह 125 दिनों की सौर्य क्षेत्र की यात्रा में सूर्य के बाहरी वातावरण (कोरोना) का अध्ययन करेगा।
इस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दूसरा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है इससे पहले 23 अगस्त को चंद्रयान 3 मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक उतारा गया था। इसके बाद लैंडर में ले जाए गये प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी कर विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करायीं। चांद की सतह पर लगभग 100 मीटर तक घूमकर प्रज्ञान ने सतह की विविध फोटो भेजीं और विभिन्न रासायनिक पदार्थों जैसे ऑक्सीजन, एल्यूमीनियम और सल्फर आदि की खोज की।
इस अति महत्वपूर्ण सफलता के बाद आज इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और लंबी छलांग लगाते हुए सूर्य मिशन के तहत आदित्य एल 1 को पीएसएलवी -सी 57 प्रक्षेपण याान की मदद से पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
यान ने उपग्रह को ठीक उसकी इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया है जहां से इसे लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल 1) जो सूर्य के सबसे नजदीक माना जाता है, इसी के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होने के लिए निर्देशित किया जायेगा। आगे पढ़ें…
इसरो के अनुसार आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य की ओर निर्देशित रहेगा। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य एल-1 इसके बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा।
भारत के पहले सौर्य मिशन ने अपने निर्धारित केंद्र एल-1 पॉइन्ट के लिए यात्रा शुरू कर दी है। आदित्य एल 1 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर चार महीनों के बाद जनवरी 2024 के पहले सप्ताह में सूर्य के क्षेत्र में प्रवेश करेगा।
इसरो द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसाद आदित्य -एल1 ने सौर पैनलों की मदद से बिजली बनाना शुरू कर दिया है । इसके बाद उपग्रह की कक्षा को बढ़ाने के लिए धरती से कल सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर फायरिंग की जायेगी। इसरो के सबसे भरोसेमंद प्रक्षेपण यान पीएसएलवी का यह मिशन उसके सबसे लंबे मिशनों में से एक होने जा रहा है हालांकि पीएसएलवी का सबसे लंबा मिशन पीएसएलवी -सी 35 2016 में हुआ था जो उड़ान के दो घंटे 15 मिनट और 33 सेकेंड बाद समाप्त हुआ था।
आदित्य एल 1 पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन तक रहेगा और इस दौरान इसे पांच बार कुशलता के साथ अपनी यात्रा के लिए जरूरी गति प्रदान की जायेगी।
मिशन नियंत्रण कक्ष से सफल प्रक्षेपण के बाद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि उपग्रह को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया गया है और अब आदित्य एल 1 ने सूर्य की ओर 125 दिनों की लंबी यात्रा शुरू कर दी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, नेता विभिन्न राजनीतिक दल, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने इसरो के पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई दी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस मौके पर इसरो को बधाई देते हुए एक्स पर पोस्ट किया “भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण, यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नये प्रक्षेप पथ की ओर आगे ले जाती है ,इससे हमें अंतरिक्ष और खगोलीय घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी ।मैं इस असाधारण उपलब्धि के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई देती हूं। मिशन की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रथम सौर मिशन आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण के लिए बधाई दी । उन्होंने कहा कि तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखे हुए है।
मोदी ने कहा कि इसके लिए भारत के अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे और इंसानियत के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करेंगे। मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “ चंद्रयान -3 की सफलता के बाद, भारत अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखे हुए है। सफलता के लिए इसरो में हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 का शुभारंभ।”
शार रेंज से इस प्रक्षेपण को देखने वाले डॉ.जितेंद्र सिंह ने ने सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो वैज्ञानिकों की सराहना की और इसे भारत के लिए एक सुनहरा क्षण बताया, जिसका पूरी दुनिया सांस रोककर इंतजार कर रही थी। वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “यह वास्तव में एक शानदार क्षण है भारत के लिए हमारे वैज्ञानिक इस क्षण के लिए वर्षों-वर्षों तक रात-दिन मेहनत कर रहे थे। आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण अंतरिक्ष की प्रगति का भी प्रमाण है ।”
इसरो ने कहा कि सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा।आदित्य-एल1 सूर्य के करीब नहीं जायेगा।
बयान में कहा गया कि एल 1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य के सामने बने रहने का मौका मिला है। इससे सौर गतिविधियों के अवलोकन और अंतरिक्ष के मौसम पर इसके वास्तविक समय में प्रभाव का भी पता चलता है।
इसरो के बयान में कहा गया कि प्रारंभ में उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया है लेकिन बाद में इसकी कक्षा को और अंडाकार बनाया जायेगी । बाद में ऑन बोर्ड प्रोपल्शन थ्रस्ट का इस्तेमाल करते हुए इसे लैगरेंज पॉइन्ट एल 1 की ओर भेजा जायेगा। यह जैसे-जैसे एल1 की ओर बढेगा यह पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर चला जायेगा। पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलते ही इसका क्रूज़ चरण शुरू हो जायेगा और इसी प्रकार इसे एल 1 के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित कर दिया जायेगा। एल1 पॅाइन्ट वह केंद्र है जहां से पृथ्वी की दूरी लगभग 15 लाख किलोमीटर है।
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