तेजपाल नेगी
रुद्रपुर। पिछला महीना उधमसिंह नगर के राजनीति और अफसरशाही के नजरिए से अच्छा नहीं रहा। अपने ऊपर कथित तौर पर हावी अफसरशाही को ठिकाने लगाने के लिए राजनीति ने ऐसे प्रपंच रचे कि एक बारगी अफसरशाही उसके जाल में फंसी दिखाई पड़ी लेकिन आखिर अफसर तो अफसर ही हुए उन्होंने ऐसा पलटवार किया है कि राजनीति को अब पानी मांगती दिखाई पड़ रही है। आज को मिला कर गुजिस्ता महीने में उधमसिंह नगर जिले में राजनीति और अफसरशाही एक दूसरे के खिलाफ खंभ गाढ़ती दिखाई पड़ी। पहले बात जनपद के लाखों लोगों को सुरक्षा दे रही पुलिस की।
यहां सत्ताधारी भाजपा के नेताओं की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरिंदरजीत सिंह से नहीं बनी और एक पखवाड़ा पहले उनके स्थानांतरण आईआरबी रामनगर में सेनानायक के पद पर हुआ तो भाजपा नेताओं ने दावे करने शुरू कर दिए कि उनके साथ बिगाड़ने वाले अफसरों का अंजाम यही होना था। लेकिन अचानक आईपीएस बरिंदर जीत सिंह ने अपने उच्चाधिकारियों को कटघरे में खड़ा करते हुए हाईकोर्ट की शरण ले ली और अब इस मामले में नेताओं ने अपने होंठ सी लिए हैं।
और अब बात किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला और उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी डा. नीरज खैरवाल के बीच चल रही तनातनी की। आईएएस नीरज खैरवाल पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की उपस्थिति में अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने खैरवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इससे पहले भी सत्ताधारी भाजपा नेता खैरवाल को लेकर मुख्यमंत्री के दरबार में कई बार अरदास लगा चुके थे। लेकिन हर बार सीएम दरबार से जिलाधिकारी को अभयदान ही मिलता रहा। लेकिन इस बार विधायक शुक्ला ने आरपार की जंग का ऐलान जैसा कर दिया। विधायक के पिता के नाम पर 300 बेड के हॉस्पिटल का शुभारंभ करने आए सीएम के कार्यक्रम में विधायक ने आने से ही इंकार कर दिया।
इसीदिन खैरवाल का स्थानांतरण भी हुआ लेकिन खैरवाल के स्थानांतरण से भाजपा नेताओं के कलेजे पर ठंडक तो कतई नहीं पहुंची होगी। दरअसल सीएम ने खैरवाल को पदोन्नत करते हुए अपना सचिव बना दिया, यही नहीं उन्हें जो विभाग मिले हैं उनमें वे उत्तराखंड भर के सबसे बड़े अधिकारी बन गए। भाजपा के नेताओं के लिए खैरवाल का स्थानांतरण भी छाती पर सांप लोटने जैसा हो गया। उसपर बची खुची कसर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उस दोपहर रुद्रपुर में हुई विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में पूरी कर दी।
इस बैठक में विधायक शुक्ला तो शामिल ही नहीं हुए अलबत्ता जिलाधिकारी खैरवाल जरूरत शामिल हुए और सीएम ने उनके कार्यकाल को लेकर जो बात इस बैठक में कही उससे साफ हो गया कि डीएम को लेकर टीएसआर की राय भाजपा के स्थानीय नेताओं से कतई इत्तेफाक नहीं रखती है। बकौल रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल, सीएम की बैठक में मैं शामिल था, सीएम साहब ने साफ कहा कि जिलाधिकारी नीरज खैरवाल को जिले में विकास कार्यों को लेकर जो लक्ष्य उन्होंने दिए थे, वे सभी खैरवाल ने पूरे कर दिए और अब मैं इन्हें अपने साथ लेकर जा रहा हूं।
सीएम का अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से भरी इस सभा में ऐसा कहना डीएम के स्थानांतरण को लेकर एक तरह से असहयोग आंदोलन छेड़े बैठे भाजपा नेताओं के गाल पर तमाचे से कमतर तो कतई नहीं था। उसी शाम जिलाधिकारी खैरवाल को नए और महत्वपूर्ण पद सौंपते हुए उनका स्थानांतरण कर दिया गया। यहां भी राजनीति मुंह बाए देखती रह गई।
और अब बात आज ही घटे एक और घटनाक्रम की। प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का चुनाव क्षेत्र है उधमसिंह नगर का गदरपुर इलाका। यहां तैनात लोक निर्माण विभाग के अवर अभियंता सुरेंद्र पाल सिंह नेगी मंत्री के लायजनिंग आफिसर बनाए जाते हैं। अब कहा जा रहा है कि नेगी सिर्फ गदरपुर क्षेत्र के लिए उनके लायजनिंग आफिसर थे। सीधी सी बात है अपने लायजनिंग अफसर से मंत्री के अच्छे रिश्ते ही रहे होंगे। अन्यथा वे उत्तरकाशी में मंत्री के साथ दौरे पर क्यों जाते। वहां नेगी एक शिक्षा अधिकारी से भिड़ गए और वह गैरतवाला अधिकारी भी यह जानते हुए कि सामने मंत्री का लायजनिंग आफिसर है, उनकी शिकायत लेकर उच्चाधिकारियों तक जा पहुंचा।
राजनीति यहां भी यही सोच रही थी कि शिक्षा अधिकारी लायजनिंग आफिसर का कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। लेकिन आज जो आदेश जारी हुआ है उससे साफ हा गया है कि राजनीति यहां भी अफसरशाही के सामने चारों खाने चित्त हो गई है। सुरेंद्र सिंह नेगी को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन के दौरान वे उधमसिंह नगर से संबद्ध भी नहीं रहेंगे, उन्हें गोपेश्वर लेजाकर पटका गया है।
कुल मिला कर उधमसिंह नगर में राजनीति इस महीने अफसरशाही के सामने हांफती दिखाई पड़ रही है।