सीएनई स्पेशल उत्तराखंड : ‘नागराजा’ की डायरी की आठ लाइनें दे रही गवाही, ‘भ्रष्टाचार के अजगरों’ के पेट में गया साढ़े पांच लाख का ‘कमीशन’, जेई से लेकर ईई तक के नाम

हल्द्वानी/देहरादून। प्रदेश के बाहर से सरकार के जीरो टालरेंस की पोल खोलने वाली एक खबर हमने आपको सुबह दी थी जिसमें यूपी के बदायूं जिले…

हल्द्वानी/देहरादून। प्रदेश के बाहर से सरकार के जीरो टालरेंस की पोल खोलने वाली एक खबर हमने आपको सुबह दी थी जिसमें यूपी के बदायूं जिले के बिल्सी के भाजपा विधायक ने सरकार के कारिंदों पर घूस लेकर ओवर लोड खनन वाहनों का आवागमन बहाल करने के आरोप लगाए थे। अब खबर आ रही है प्रदेश की राजधानी देहरादून से लगती हिमाचल प्रदेश की सीमा पांवटा साहिब से। यहां कुछ पत्रकारों को एक पुल के नीचे से एक बैग बरामद हुआ, बैग एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के कर्मचारी का है। इसमें हस्ताक्षरित चेक बुक तो मिली ही साथ में एक डायरी भी मिली। डायरी के एक पेज पर जो जानकारी दर्ज है उससे उत्तराखंड सरकार के जीरो टालरेंस की धज्जियां उड़ती दिख रही हैं दरअसल इस डायरी के एक पन्ने में दर्ज कुछ लाइनों में उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के कई अध्याय छिपे हुए लग रहे हैं। हालांकि अब डायरी देहरादून के विकासनगर थाने की पुलिस के पास है और यह पन्ना हिमाचल से लेकर देहरादून के सोशल मीडिया पर कुलांचे भर रहा है।

मिल रही जानकारी के अनुसार कल दोपहर पांवटा साहिब में श्रमजीवी पत्रकार संघ की बैठक बाता नदी के पुल के पास स्थित होटल ग्रांड रिबेरा में रखी गई थी। बैठक से निपटकर जब पत्रकार वापस लौट रहे थे तो उनकी नजर बाता पुल पर दिख रही दरारों पर पड़ी। दरारों की खोज करते करते कुछ पत्रकार पुल के नीचे जा पहुंचे। यहां झाड़ियों के बीच उन्हं पालीथिन में लिपटे कुछ कागजात मिले। पालीथिन को खोलने पर पता चला कि उसके अंदर नागराजा कंस्ट्रक्शन कंपनी की चार चेक बुक, एक मोहर, एक मोहर पैड, एक लेटर पैड, एक चश्मा आदि सामान के साथ दो डायरी भी मिली। लेटर पैड के हैडर पर ही कंपनी का नाम मैसर्स नागराज कंस्ट्रक्शन लिखा है। इसके ठीक नीचे कंपनी का पता लिखा गया है। जिसके अनुसार यह कंपनी टिहरी के जौनपुर क्षेत्र के बेल गांव की है। कुछ फोन नंबर भी इस लेटर पैड पर अंकित हैं।

इन्ही फोन नंबरों पर पत्रकारों ने संपर्क किया तो बताया गा कि देहरादून के विकास नगर थाने में इन कागजातों की गुमशुदगी दर्ज कराई गई थी। बाद में पत्रकारों ने विकास नगर थाने में संपर्क किया और विकास नगर से कुछ ही देर में पुलिस ने पांवटा साहिब पहुंच कर सभी दस्तावेज हासिल कर लिए।
खैर काम की बात यह है कि पालीथिन के अंदर मिली दो डायरियों में से एक डायरी में तो कंपनी को उत्तराखंड में मिले कामों को ब्यौरा था, जबकि दूसरी डायरी में ऐसी ही अनेक जानकारियों के अलावा एक पेज पर आफिस को जो कमीशन गया लिखकर आठ ब्यौरे दर्ज किए गए हैं। लाल और नीले कवर वाली इस डायरी में जो कुछ लिखा गया है उसे पढ़ कर आप भी हैरान रह जाएंगे।

वर्ष 2016 की इस डायरी में 9 फरवरी के पृष्ठ पर लिखा गया है कि 90 हजार रुपये एई लोगवाल को दिए,एक्स्ट्रा आइटम बनाया, इसके आगे 3334912 यह राशि लाल रंग के पेन से गोल घेरे में बंद की गई है। इसी पंक्ति के ठीक उपर लिखा है चीफ का खर्चा। इसके बाद अगली पंक्ति में एक लाख रुपये की धनराशि देने का विवरण है, इस एक लाख रुपये की राशि के आगे भी एई लोगवाल को ही जिक्र है। आगे लिखा गया है कि अकांउट आफिस टिहरी का दिया। तीसरी इंट्री 50 हजार रुपये की है। जिसमें आगे लिखा गया है कि जेई अमर सिंह कोहली को दिए,इसके आगे ताीख भी लिखी गई है। जो ठीक से पढ़ी नहीं जा रही है। अगली इंट्री भी 50 हजार की है। जिसे जेई अमर सिंह कोहली को दिया गया दर्शाया गया है। इसके आगे दिनांक लिखने के बाद लिखा गया है थत्यूड़ में। अगली इंट्री भी पचास हजार रुपये की है। वही जेई अमर सिंह कोहली के नाम, इसके आगे लिखा गया है केयर आफ एसएस राणा द्वारा।
इसके बाद एक लाख रुपये की इंट्री है।

जिसके आगे लिखा गया है ईई भंडारी को दिया। 23 फरवरी 2016 की तिथि भी इसके आगे लिखी गई है। अगली इंट्री दस हजार रुपये की है। जिसमें 20 मार्च 2016 को जेई अमर सिंह को दिए। अगली इंट्री एक लाख रुपये ही है जिसके आगे लिखा गया है कि आफिस को दिए, गोटी का, इसके आगे 23 फरवरी 2016 अंकित है। अगली इंट्री पचास हजार रुपये की है। जिसमें एई लोगवाल को दिए लिखा गया है।

अब सवाल यह है कि वर्ष 2015 और 16 में नागराजा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने किन किन इलाकों में निर्माण कार्य किए और उस समय उस इलाके में कौन कौन अधिकारी तैनात थे। यह जांचना प्रदेश सरकार की एजेंसी के लिए बड़ी बात नहीं होगी। पन्ने के उपर साफ साफ लिखा है आफिस को जो कमीशन गया। इसका अर्थ है कि लोग गायक नरेंद्र सिंह नेगी के जिस गीत की पंक्ति को हाईकोर्ट में अब से कुछ दिन पहले कोट किया गया वह यहां भी अक्षर अक्षर चरित्रार्थ हो रही है। वे पंक्तियां है कमीशन को मीट भात…अब कथगा खैलो रे…

खैर पुलिस ने कंस्ट्रक्शन कंपनी को उनके दस्तावेज लौटाए या नहीं यह तो
पता नहीं चला सका है कि लेकिन यदि इस मामले की सच्चाई तो सामने आनी ही चाहिए।

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