जन भावनाओं का अपमान है ग्रीष्मकालीन राजधानी, पूर्णकालिक राजधानी बने गैरसैंण : उलोवा

अल्मोड़ा। उत्तराखंड लोक वाहिनी ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह घोषणा ठीक वैसे ही है, जैसे ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजों ने अपने सैर सपाटे के लिए नैनीताल को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया था।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि उलोवा उत्तराखण्ड को एक सूत्र मे पिरो कर पहाड़ के जनमुद्दों को देश व विश्व पटल पर अपने स्थापना काल से ही उठाती रही है। वाहनी उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैण मे बनाने की पुरजोर वकालत करती रही है। उन्होंने कहा कि त्रिवेन्द्र सरकार द्वारा इसे ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित करना ठीक वैसा ही है जैसा कि ब्रिटिश हुकूमत के समय व आजाद भारत में उत्तर प्रदेश की ग्रीष्म कालीन राजधानी नैनीताल रही थी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण़्ड लोक वाहनी ग्रीष्कालीन राजधानी को छलावा मानते हुए गैरसैंण को स्थाई राज धानी बनाये जाने की आज भी आवश्यकता महसूस करती है। वक्ताओं ने कहा कि राज्य के मध्य में राजधानी बनने से प्रदेश का समग्र विकास होगा। यह राज्य के लिए शहीद हो चुके शहीदों व आन्दोलनकारियों की जनभावना है। स्थाई राजधानी के बिना कोई भी राज्य पूर्ण नही है। उन्होंने कहा कि १९९२ -९३ मे कौशिक समिति के सर्वेक्षण मे भी यह तत्थ्य सामने आया कि जनता पर्वतीय राज्य के साथ-साथ गैरसैंण मे स्थाई राजधानी चाहती है। उन्होंने कहा कि २०१२ में जब विजय बहुगणा ने गैरसैंण में विधानसभा भवन का शिलान्यास किया तो माना जा रहा था कि देर सबेर यह पूर्णकालिक राजधानी बनेगी पर राज्य सरकार ने जनभावनाओं की अनदेखी की है। उलोवा सभी राज्य आन्दोलनकारियों, राजनैतिक पार्टियों से अपील करती है कि वह गैरसैंण पर अपना संघर्ष जारी रखे। चूंकि राज्य की ग्रीष्म कालीन राजधानी एक छलावा है और आन्दोलन की भावनाओ को आहत करने वाला है।
उलोवा ने स्थाई राजधानी की मांग को लेकर कई पद यात्राएं, अनशन व आन्दोलन किये पर राज्य सरकार सबकी उपेक्षायें कर रही है।बैठक में पूरन चन्द्र तिवारी, अजयमित्र, एड. जगत रौतेला, जंगबहादुर थापा, दयाकृष्ण काण्डपाल, हरीश मेहता, रेवती बिष्ट, माधुरी मेहता, कुणाल तिवारी, अजय मेहता, शमशेर जंग गुरुंग, सूरज टम्टा आदि उपस्तिथ थे।