सीएनई रिपोर्टर, देहरादून
शासन द्वारा कर्मचारियों की हड़तालों पर रोक लगाने और ‘नो वर्क नो पे’ का फरमान जारी करने का उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच ने कड़ा प्रतिकार किया है। मंच द्वारा आयोजित वेबिनार में इस बात की तीखी आलोचना हुई है। सर्वसम्मति से कहा गया कि यह आदेश हड़ताल के कारणों के लिए जिम्मेदार लोगों पर लागू हो। वेबिनार में सरकार को आगाह किया है कि यदि सरकार ने राज्य प्राप्ति के लिए ऐतिहासिक संघर्ष करने वाले कार्मिक समुदाय की आवाज को दबाने की कोशिश की, तो समूचा कार्मिक समुदाय एकजुट होकर हड़तालों के प्रति जवाबदेही के लिए हड़ताल करेगा।
बेविनार में वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि ‘नो वर्क नो पे’ का आदेश जारी करने के बाद सरकार बड़ी गलतफहमी में है कि इससे हड़ताल पर पूर्ण विराम लग जाएगा। उन्होंने कहा कि हड़ताल के कारणों की समीक्षा कर उन चेहरों को चिन्हित किया जाय जिनकी वजह से हड़ताल की स्थिति उत्पन्न होती है। एकता मंच के अध्यक्ष रमेश चंद्र पाण्डे ने कहा कि गोल्डन कार्ड के नाम पर कार्यरत एवं सेवानिवृत्त कार्मिकों के वेतन व पेंशन से प्रतिमाह एक साल से कटौती के बावजूद आज कार्मिक समुदाय को नि:शुल्क इलाज नहीं मिल रहा है और शिथिलीकरण के बावजूद कार्मिकों की पदोन्नति की आस पर तुषारापात हुआ है, उसके लिए सरकार तो जिम्मेदार है ही, लेकिन कार्मिक संघ कम जिम्मेदार नहीं हैं।
तय किया गया कि एकता मंच द्वारा हड़तालों के प्रति जवाबदेही के लिए एकता की मुहिम को जारी रखते हुए सभी परिसंघों के साथ शीघ्र ही बैठक की जायेगी। मंच के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेन्द्र पाठक ने कहा कि समूचे कार्मिक समुदाय के वजूद से जुड़े मौजूदा हालातों का सामना करने के लिए एकजुट होने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है और एकता मंच एकता की मुहिम को जारी रखते हुए सभी संघों के साथ समन्वय बनायेगा।
वेबिनार के बीच देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित अन्य सैन्य अधिकारियों की दुर्घटना में असामयिक निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की गई। वेबिनार की अध्यक्षता एकता मंच के अध्यक्ष रमेश चंद्र पाण्डे व संचालन महासचिव दिगम्बर फुलोरिया ने किया। जिसमें मंच के गढ़वाल मंडल के संयोजक सीताराम पोखरियाल, स्वरूप जोशी, सरस्वती टम्टा, डा. सरिता, मोहन राठौर, अजिता ऐरी, सुरेश चन्द्र, रमेश पाण्डेय, मित्रानन्द, आनन्द सिंह आदि थे।