मासूम बच्ची का किया ऐसा हाल कि 10 रोज तक तड़पती रही
नैनीताल। बेहद शांत सरोवर नगरी नैनीताल में कभी दंगे की नौबत भी आ जायेगी यह तो किसी ने सोचा भी न था। नगर में गत दिनों जो कुछ हुआ वह एक क्रिया की प्रतिक्रिया थी। ऐसी घटना की अब कभी पुनरावृत्ति न हो। यही शहर की जनता और पर्यटक नंदा देवी प्रार्थना कर रहे हैं।
आखिर क्या हुआ था उस दिन !
कहानी शुरू होती है एक उस्मान नाम के मामूली से व्यक्ति की। जो करीब चार दशक पहले शहर में एक राजमिस्त्री की हैसियत से आता है। फिर समाज के बहु संख्यक समाज के बीच अपनी अलग पैठ बनाना शुरू कर देता है। अपने व्यवहार की बदौलत वह समय बीतने के साथ लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ने लगता है। 2024 तक वह शहर का एक नामी कांट्रेक्टर बन चुका होता है।
करोड़ों रुपये के ठेकों के कार्य लगतार मिलते रहने के कारण उसने हर वह चीज हासिल कर ली, जो सफलता के लिए जरूरी है। यहां तक कि अपने बच्चों को भी अच्छे ओहदों तक पहुंचाने में सफल हो गया। उसके दो बच्चों में एक सरकारी डॉक्टर है तो दूसरा लोक निर्माण विभाग में अभियंता है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार उस्मान राजमिस्त्री का काम करने नैनीताल आया था। उसने राज्य अतिथिगृह में यही काम किया। इसके बाद कई ठेकेदारों के साथ राजमिस्त्री का कार्य करता रहा। कुछ ही समय बाद वह छोटे-छोटे ठेके लेने लगा। करीब तीन दशक पहले वह लोनिवि में बतौर ठेकेदार पंजीकृत हुआ। इस समय वह सी क्लास का ठेकेदार है। इसके अलावा वह नगर पालिका समेत अन्य विभागों में भी पंजीकृत ठेकेदार है।
नगर के सौंदर्यीकरण के तहत हो रहे कार्यों में भी वह शामिल रहा। पालिका के ठीक पीछे पुराने घोड़ा स्टैंड क्षेत्र के काम भी उसी पर रहे। सूत्रों के अनुसार हाल ही में प्रतिष्ठित निजी संस्था का लगभग ढाई करोड़ का ठेका उसके नाम पर हुआ है। बताया जा रहा है कि दुष्कर्म के आरोपी ठेकेदार उस्मान की दो शादियां हुईं हैं। उसके तीन बच्चे हैं।
पीड़िता ने सहा असहनीय दर्द, मिट गई इंसानियत
नैनीताल। गत 12 अप्रैल 2025 का दिन था। एक बिटिया शाम को बाजार से कुछ सामान खरीदने घर से निकली थी। इस बीच रुकुट कंपाउंड मल्लीताल का रहने वाला 65 साल का उस्मान वहां पहुंच गया। उसकी गंदी नजर जैसे ही इस 12 साल की बच्ची पर पड़ी उसका शैतानी दीमाग सक्रिय हो गया। बच्ची को उसने 200 रुपये देने का लालच दिया और अपने घर ले गया। वहां उसने काफी देर तक बच्ची के साथ जबरदस्त हैवानियत की। जिसके बाद बच्ची की हालत बिगड़ गई।
आरोपी उस्मान ने उसे इतना धमकाया कि बच्ची ने मुंह खोलने की हिम्मत ही खो दी। दर्द से तड़पती हुई वह अपने घर पहुंची। दस रोज तक बच्ची घुटनों के बल रेंग कर चलती थी। वह ठीक से बैठ भी नहीं पाती थी। नानी के पूछने पर भी बच्ची ने मुंह नहीं खोला, जिसका कारण यह था कि वह बलात्कारी की धमकी से डरी थी। तब बड़ी बहन ने फोन कर संभल से मां को बुला लिया। बालिका की मां 23 अप्रैल, 2025 को नैनीताल पहुंच गई। दो दिन तक तो बच्ची ने अपनी मां तक को कुछ नहीं बताया।
जब हालत में सुधार नहीं हुआ तो 25 अप्रैल को मां उसे लेकर हल्द्वानी के महिला अस्पताल ले गई। बताया जा रहा है कि यहां चिकित्सक ने बच्ची की हालत देखकर पहले पुलिस के पास जाने को कहा। जिसके बाद मां चुपचाप बच्ची को लेकर लौट गई। बाद में मोहल्ले की कुछ औरतों व एक समाज सेविका की मदद से पूरा मामला उजागर हुआ।
घटना के बाद हो गए दंगे से हालात
जैसे—जैसे इस बर्बर घटना का लोगों को पता चला हर तरफ आक्रोश फैल गया। हिंदूवादी संगठनों के बैनर तले बड़ी संख्या में नागरिकों ने शहर में प्रदर्शन किया। इस बीच शहर में कुछ अराजक तत्वों ने समुदाय विशेष की दुकानों में तोड़फोड़ व मारपीट भी की। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया है और अग्रिम कार्रवाई गतिमान है।
हाईकोर्ट के आदेश पर नहीं हुई बुलडोजर कार्रवाई
6 मई को होगी अगली सुनवाई
घटना से आहत नैनीताल सहित समूचे प्रदेश की जनता आरोपी के घर बुलडोजर चलवाने की मांग कर रही थी, लेकिन हाईकोट के आदेश पर यह कार्रवाई नहीं हो पाई। दरअसल, नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी 65 वर्षीय मोहम्मद उस्मान को उत्तराखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। नगर पालिका ने उस्मान को घर के पास अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किया था। हाई कोर्ट ने इस नोटिस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि नगर पालिका ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया है। उस्मान के वकील ने बताया कि अतिक्रमण हटाने से पहले 15 दिन का नोटिस देना जरूरी है, लेकिन नगर पालिका ने सिर्फ तीन दिन का नोटिस दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी।