सराहनीय : वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरए दीक्षित ने कायम की बड़ी मिशाल, नि:स्वार्थ भाव से पशुओं की सेवा, दो मरणासन्न कुत्तों को दिया नव जीवन !

अल्मोड़ा। यहां भैसवाड़ा फार्म के प्रभारी एवं वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरए दीक्षित कोरोना काल में जिस तरह से निरंतर नि:स्वार्थ भाव से पशुओं की…

अल्मोड़ा। यहां भैसवाड़ा फार्म के प्रभारी एवं वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरए दीक्षित कोरोना काल में जिस तरह से निरंतर नि:स्वार्थ भाव से पशुओं की सेवा में जुटे हुए हैं, वह एक बड़ी मिशाल है। हाल में उन्होंने एक गुलदार के हमले के बाद मरणासन्न हालत में पहुंचे एक पालतू कुत्ते का समय पर व सटीक उपचार कर उसका जीवन बचाया, वहीं गत दिवस आपसी संघर्ष में बुरी तरह घायल हुए एक अन्य कुत्ते का उपचार कर उसे पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप को सुरक्षित सौंप दिया।

वस्तुत: प्राणी मात्र की सेवा करना एक बहुत बड़ा पुण्य का काम है। खास तौर पर उन मूक जानवरों के लिए समर्पित हो जाना, जो अपना दु:ख—दर्द सीधे किसी को बयां भी नही कर सकते हैं। आज यदि कहीं भी आवारा बैल, गाय, कुत्ते आदि किसी कारणवश घायल हो जायें तो तत्काल उनके उपचार के लिए डॉ. दीक्षित वहां पहुंच जाते हैं। यह अलग बात है कि कभी भी उन्होने कोई कोई काम अख़बारों की सुर्खियां बटोरने के लिए नही किया है। यहां तक कि अपनी सेवा के लिए उन्होने कभी कोई मूल्य नही लिया। अधिकांशत: अपनी खुद की तनख्वाह से महंगी दवाइयां खरीद वह लावारिस पशुओं की सेवा करते आये हैं। गत दिवस यहां मोहल्ला झिझाड़ में एक आवारा कुत्ता बुरी तरह घायल पड़ा मिला। जिस पर जब डॉ. दीक्षित की नज़र पड़ी तो वह द्रविद हो उठे।

उन्हें किसी जरूरी काम से घर से निकलना था, लेकिन वह उस कार्य को छोड़ सीधे घायल पशु की सेवा में जुट गये। डॉ. दीक्षित ने घायल कुत्ते को बेहोश कर उसे एंटीबाइटिक की खुराख़ दी तथा उसके जख्मों की सफाई की। जिसके बाद यह कुत्ता होश में आने के बाद चलने लायक हो गया। आगे संरक्षण हेतु उन्होंने फिर उस कुत्ते को पशु प्रेमी कामिनी कश्यप को सौंप दिया।

इससे पूर्व भी गत 25 अगस्त, मंगलवार के रोज डॉ. दीक्षित को सूचना मिली कि नृसिंहबाड़ी मोहल्ले में एक पालतू कुत्ते को गुलदार ने अपना निवाला बनाने की कोशिश की। वह पामेरियन कुत्ता किसी तरह गुलदार के जबड़ों से तो आज़ाद हो गया, लेकिन उसकी हालत ऐसी थी कि पूरे शरीर पर गुलदार के नाखूनों से दिए गए जख्म थे। गरदन का हिस्से में छेद था तथा पास ही एक बड़ा जख्म भी थी। डॉ. दीक्षित ​सुबह 7 बजे के करीब ही उस स्थान पर पहुंंच गये। इसके बाद वह कुत्ते के उपचार में जुट गये। उन्होंने घायल पशु को कई इंजेक्शन दिए तथा एंटीबाइकिटक की खुराक दी।

गुलदार द्वारा मरणासन्न हालत में छोड़े गये इस कुत्ते को बचाना एक टेड़ी खीर थी, लेकिन डॉ. दीक्षित ने हिम्मत नहीं हारी और रोज सुबह—शाम वह स्वयं नृसिंहबाड़ी मोहल्ले में आते रहे। आखिरकार डॉ. दीक्षित के प्रयास रंग लाये और 4—5 दिन बाद यह कुत्ता काफी हद तक स्वस्थ हो गया। सीधे कहें तो गुलदार के हमले में घायल कुत्ते को उन्होंने एक नया जीवन प्रदान कर दिया। वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरए दीक्षित की यह पशु ​सेवा निश्चित रूप से एक बहुत बड़ा कार्य है, क्योंकि आज की तारीख़ में जब इंसान ही इंसान के काम आने को तैयार नहीं तब एक वरिष्ठ पद पर आसीन चिकित्सक नि:स्वार्थ भावना के साथ अपना सर्वस्व मूक—लाचार पशुओं की सेवा में समर्पित कर रहे हैं।

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