सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
एसएसजे परिसर में शिक्षा विभाग के सानिध्य में आत्मनिर्भर भारत के तहत छह दिवसीय आनलाइन स्मार्ट कार्यशाला के आज द्वितीय दिवस ‘संवाद एवं रिश्ते’ संबंधी संकल्पना को बड़े प्रभावपूर्ण ढंग से बालिकाओं के समक्ष रखा गया।
प्रशिक्षिका डॉ. रितु जैन ने बड़े प्रभावपूर्ण ढंग से अपने विचार रखे। बालिकाओं ने भी आपसी विचार—विमर्श में कोई कसर नही छोड़ी। डॉ. जैन ने कई महत्वपूर्ण बिंदु जैसे, वार्तालाभ करने की योग्यता, दूसरों की बातों को ध्यान से सुनना, नकारात्मकता, संकोची स्वभाव, आत्म विश्वास की कमी, छोटी—छोटी बातों पर क्रोधित होना, दूसरों से संबंध खराब न कर अच्छे संबंध स्थापित करना तथा गलतफहमी न पालना जैसे महत्वपूर्ण एवं व्यावहारिक विषयों पर अर्थपूर्ण चर्चा की। उन्होंने छात्राओं के विचारों को जानने के लिए मत पोल के अंदर 10 बिंदुओं का प्रयोग भी किया। साथ ही सचेत करते हुए कहा कि हमें स्वयं को प्रदर्शन की वस्तु न बनाकर अपने व्यक्तित्व को सकारात्मक रूप से निखारने का प्रयास करना चाहिए। अंत में संवाद स्वस्थ रिश्ते का मंत्र देते हुए कार्यशाला के समापन की घोषणा की गई।
कार्यशाला की सहयोगी के रूप में शिक्षा शास्त्र विभाग की प्रो. भीमा मनराल ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज शिक्षा अपनी व्यवहारिकता को छोड़कर सैद्धानितकता की ओर बढ़ रही है। निश्चय ही इस कार्यशाला में बालिकाएं व्यावहारिक ज्ञान को लेने में कामयाब होंगी तथा अपने व्यवहार में सामाजिकता, सहनशीलता, पारदर्शिता, आत्मविश्वास एवं धैर्य जैसे गुणों को हासिल कर सशक्त, संपन्न व आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना सहयोग देंगी।
शिक्षा शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. वीआर ढौंढियाल ने छात्राओं की इस सक्रिय भागीदारी की प्रशंसा की तथा उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि इस प्रकार के अवसर छात्राओं को मिलते रहने चाहिए, जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके। डॉ. डीएस चम्याल ने बालिकाओं की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए स्थिति को बेहतर बनाने के लिए अपने विचार रखे।