हल्द्वानी। नगर निगम की कथित मनमर्जी से खफा एक युवक अपने परदादा के मकान पर पुनः कब्जे के लिए आज दूसरे दिन भी बुधपार्क में धरने पर बैठा। आज उसकी राम कहानी सुनने वाले लोगों की संख्या तो बढी ही कुछ स्वयं सेवी सगठन भी उसके समथर््ान में आगे आए। हालाकि सत्येंद्र नामक इस युुवक की गर्भवती पत्नी आज धरने पर नहीं बैठी। सत्येंद्र के अनुसार उसकी तबीयत खराब हो जाने के कारण चिकित्सकों ने उसे आराम की सलाह दी है।
सत्येंद्र कुमार का कहना है कि 1962 में तत्कालीन हरिजन कल्याण विभाग ने उसके परदादा बुद्धाराम प्रधान को यह मकान बना कर दिया था।
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इस भवन का बिल्डिंग प्लान भी उसके परदादा बुद्धाराम प्रधान के नाम पर ही है। जिसके दस्तावेज भी उसके पास हैं। इसके बाद 6 दशक से पीढी दर पीढ़ी उनका परिवार इस भवन में रहता आ रहा है। अब नगर निगम ने इस भवन को 1992 में उसकी दादी को दिए जाने का दावा करते हुए उसे मकान से निकालने की साजिश रचनी शुरू कर दी। आठ जनवरी को जब वे घर पर नहीं थे, राजेंद्र सिंह नमक नगर निगम कर्मी के साथ एक कुछ लोगों ने मकान का ताला तोड़ कर उसका सारा सामान बाहर फेंक दिया और राजेंद्र इस मकान पर काबिज हो गया।
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सत्येंद्र का कहना है कि उसने इस मामले में कोर्ट में पहले ही वाद दयर कर रखा है जिसमें अदालत ने यथास्थिति के आदेश जारी किए हैं, लेकिन नगर निगम ने अदालत के आदेशों के उलट उसका सामान बाहर फेंक कर उसका घर कब्जा लिया। उसका कहना है कि उसके परदादा के के समय से यह मकान उनके परिवार के ही पास है। इसपर नगर निगम का कोई अधिकार नहीं है। उसने बताया कि दरअसल उसने कई साल पहले नगर निगम के सफाई कर्मी राजेंद्र के आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज निकलवाए थे।
जिसमें उसके फर्जीबाड़े का खुलासा हुआ था। इसके बाद नगर निगम ने राजेंद्र पर तो कोई कार्रावाई नहीं की उल्टे उसे व उसके परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया। सत्येंद्र का कहना है कि उसका धरना न्याय मिलने तक जारी रहेगा। आज कई संगठनों से बुधपार्क पहुंच कर उसे अपना समर्थन भी दिया। आज भीम फोर्स व बहुजन मूल निवासी सेना के पदाधिकारियों ने आदि ने सत्येंद्र के धरना स्थल पहुंच कर उसका समर्थन किया। WhatsApp Group join Link