अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने का सुंदर प्रयास
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: यहां दुगालखोला में गत दिवस से सातों—आठों पर्व की धूम मची है। आज दूसरे रोज भी इस मेले के आयोजक सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रमणि भट्ट के आवास पर महिलाओं ने पंरपरानुसार विविध गीतों, नृत्य व रस्मों को निभा कर अपनी संस्कृति को जीवंत रखने का पूरा प्रयास किया।
गुरुवार को गणेश, मां नंदा, गौरा व महेश्वरी को समर्पित गीत गाए गए। मां नंदा से जुड़े रोचक कार्यक्रम के जरिये एक बेटी की व्यथा को समाज के सामने लाने का प्रयास किया गया। ‘कि खैंछै नंदा हो, यौ भुखै भदो में’ जैसे मार्मिक गीत ने सभी को मंत्रमुग्ध कर डाला। वहीं झोड़ा नृत्य, चांचरी व स्वांग के माध्यम से भगवती नन्दा के विविध रुपों को प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा गौरा द्वारा गणेश को प्यार—दुलार करना, इससे संबंधित मार्मिक ‘हौलोरी बाला हौलोरी’ गीत, गौरा का मायके पर हक जताना व भाभियों की टालमटोली, गौरा का रुठना आदि प्रसंगों का प्रदर्शन इस पर्व की खास विशेषता रही।
कार्यक्रम में संयोजक तारा भट्ट, भगवती गुरुरानी, भावना कांडपाल, खष्टी भट्ट, संगीता भट्ट, कमला भट्ट, निर्मला दुर्गापाल, महिला कल्याण संस्था की अध्यक्ष रीता दुर्गापाल, दीपा जोशी, जानकी काण्डपाल, गंगा असवाल, तनुजा गुरुरानी, प्रेमा सुु्प्याल, मंजू जोशी, आशा पाण्डे, कौशल्या पाण्डे, दीपा लोहनी, रमा बिष्ट, गीता पोखरिया, हेमा पाण्डे, पुष्पा भट्ट आदि कई महिलाएं शामिल रही। पूरे आयोजन को सफल अंजाम देने में चन्द्रमणि भट्ट की खासी भूमिका रही।