सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
पर्वतीय राजस्व निरीक्षक, राजस्व उपनिरीक्षक एवं राजस्व सेवक संघ मुख्यमंत्री से मुलाकात कर लौट आया है। उन्होंने बताया कि उनकी मांगें लंबे समय से लंबित हैं। वह पुलिस कार्य भी कर रहे हैं, लेकिन सुविधाओं नहीं होने के कारण वह असुरक्षित हैं। उन्होंने लंबित मांगों का जल्द निराकरण करने का अनुरोध सीएम से किया।
संघ के जनपद अध्यक्ष विजयपाल सिंह ने कहा कि संवर्गीय कार्मिकों को समान कार्य के लिए समान वेतनमान, समान संसाधन दिए जाएं। उत्तराखंड राज्य में लगभग 60 प्रतिशत भू-भाग पर राजस्व पुलिस की व्यवस्था है। राजस्व उपनिरीक्षकों को आइपीसी, सीआरपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस का कार्य करना पड़ रहा है। वह इस काम को भी सफलतापूर्वक कर रहे हैं।
राजस्व पुलिस मूल विभाग के दायित्वों के साथ ही अतिरिक्त काम भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नियमित पुलिस के सापेक्ष उनके पास संसाधन भी नहीं हैं। एक पुलिस चौकी में तैनात उपनिरीक्षक का ग्रेड पे 4600 रुपये है। उन्हें अतिरिक्त एक माह का वेतन भी देय है। जबकि राजस्व उपनिरीक्षक 2800 ग्रेड पे पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अपराधी भी दिन-प्रतिदिन हाईटेक होते जा रहे हैं। जिस कारण राजस्व पुलिस को संसाधनों के अभाव में विवेचना, अभियुक्तों की गिरफ्तारी आदि में दिक्कतें हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो पुलिस कार्य से राजस्व पुलिस को मुक्त कर दिया जाए।बागेश्वर: पर्वतीय राजस्व निरीक्षक, राजस्व उपनिरीक्षक एवं राजस्व सेवक संघ मुख्यंत्री से मुलाकात कर लौट आया है। उन्होंने बताया कि उनकी मांगें लंबे समय से लंबित हैं। वह पुलिस कार्य भी कर रहे हैं। लेकिन सुविधाओं नहीं होने के कारण वह असुरक्षित हैं। उन्होंने लंबित मांगों का जल्द निराकरण करने की मांग की।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन देते हर अपर मुख्य सचिव आनंदवर्धन को तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर शिष्टमंडल में प्रदेश सचिव महिपाल पुण्डीर, श्याम सिंह तोमर, युवराज गोस्वामी, उत्सव अग्रवाल, जितेंद्र थपलियाल आदि मौजूद थे। इससे पूर्व शिष्टमंडल ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौपा।